फिलिस्तीन समर्थकों का विरोध झेलने के 24 घंटे के अंदर ही कमला हैरिस का बदल गया मन!
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के एक सहयोगी ने कहा है कि वह इजराइल पर हथियार प्रतिबंध का समर्थन नहीं करती हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार बनने के बाद गाजा वॉर पॉलिसी को लेकर उनकी ओर से यह पहला बड़ा बयान है.
कमला हैरिस अमेरिका में गाजा पीड़ितों के लिए आवाज़ उठाने वालों में से एक हैं, उन्होंने हमास के खिलाफ इजराइली हमलों में मारे गए भूखे और निर्दोष फिलिस्तीनियों का मुद्दा हमेशा मजबूती से उठाया है. हैरिस ने भले ही इजराइल की आत्मरक्षा के लिए समर्थन की प्रतिबद्धता को दोहराया हो लेकिन जुलाई के अंत में नेतन्याहू से मुलाकात में हैरिस ने इजराइल की नीतियों की कड़ी आलोचना की थी. लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि कमला हैरिस का फिलिस्तीन को लेकर मन बदल गया?
फिलिस्तीन समर्थकों के विरोध से बदला मन?
दरअसल बुधवार को मिशिगन में कमला हैरिस की रैली के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीन समर्थक नारे लगाए. ये लोग इजराइल को मिलने वाली अमेरिकी मदद का विरोध कर रहे थे और ‘नरसंहार’ के नारे लगा रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने कमल हैरिस की स्पीच के दौरान कई बार बाधा डालने की कोशिश की, ऐसे में कमला हैरिस ने विरोध करने वालों को सीधा संबोधित करते हुए कहा, ” अगर आप चाहते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप जीतें तो यह कहते रहिए, वरना मैं बोल रही हूं.”
इजराइल को लेकर बाइडेन की राह पर कमला!
फिलिस्तीनी समर्थकों के इस विरोध के 24 घंटे बाद ही कमला हैरिस के सहयोगी की ओर से यह बयान आना क्या महज़ संयोग माना जा सकता है? या फिर माना जाए कि कमला हैरिस ने विरोध के चलते इजराइल को लेकर अपना मन बदल लिया है? दरअसल डेमोक्रेटिक वोटिंग ब्लॉक में शामिल अरब अमेरिकी गाजा पर इजराइल के हमले का विरोध करते रहे हैं. इन लोगों ने इजराइल को ऐसे हथियारों की आपूर्ति रोकने की मांग की है जिसका इस्तेमाल कर गाजा में मासूमों की जान ली जा रही है.
इजराइल को लेकर कमला हैरिस के पुराने बयानों से अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुनी जाती हैं तो शायद इजराइल के खिलाफ इस तरह के कड़े फैसले ले सकती हैं, लेकिन इस ताज़ा बयान से ऐसा लगता है कि इजराइल को लेकर कमला हैरिस भी बाइडेन के ही नक्श-ए-कदम पर चलेंगी.
अमेरिका में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों ही पार्टी के राष्ट्रपतियों ने इजराइल को लेकर अब तक लगभग एक जैसा रुख अपनाया है. अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने मिडिल ईस्ट में अपने सबसे बड़े सहयोगी इजराइल को सैन्य और आर्थिक मदद देकर काफी मजबूती प्रदान की. जब कमला हैरिस ने नेतन्याहू के सामने युद्ध विराम का मुद्दा उठाया तो माना जा रहा था कि इजराइल को लेकर उनका स्टैंड सख्त हो सकता है लेकिन फिलहाल ऐसी कोई संभावना नज़र नहीं आती.