क्या बगावत करने के मूड में हैं राव इंद्रजीत?, मीडिया में चल रही खबरों पर कह दी दिल की बात
हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने वाली बीजेपी के भीतर अहीरवाल बेल्ट में सबसे ज्यादा राजनीति गर्मा गई है। यहां से पार्टी को 11 में से 10 सीटों पर जीत मिली है। सरकार बनाने में इस इलाके का अहम रोल होने के कारण यहां के कद्दावर नेता और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह प्रेशर पॉलिटिक्स की राह पर चल पड़े हैं।
बताया जा रहा है कि रिजल्ट आने के बाद से ही राव इंद्रजीत सिंह पूरी तरह एक्टिव है और चुनाव जीते विधायक उनसे मुलाकात कर चुके हैं। राव इंद्रजीत सिंह से जुड़े सूत्रों के मुताबिक उनके संपर्क में 15 से ज्यादा MLA है। ऐसे में राव इंद्रजीत सिंह किस बड़ी मंशा को लेकर चल रहे हैं, इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है। हालांकि इसको लेकर राव इंद्रजीत ने कहा कि मैं कोई बगावत नहीं कर रहा हूं। मैं और सभी साथी विधायक भारतीय जनता पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हैं।
अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के परिवार की पकड़
अहीरवाल इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के परिवार रामपुरा हाउस की पकड़ दशकों से रही है। पहले उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह का इलाके में दबदबा रहा। इसके बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पिता के रुतबे को इस इलाके में बनाए रखा। राव इंद्रजीत सिंह 6 बार सांसद और 4 बाद विधायक बने है। अब उनकी उत्तराधिकारी के रूप में आरती राव इस पूरे इलाके में एक्टिव है।
वहीं भाजपा ने इस बार गुरुग्राम से मुकेश शर्मा, बावल से डॉ. कृष्ण कुमार, पटौदी से बिमला चौधरी, सोहना से तेजपाल तंवर, रेवाड़ी से लक्ष्मण सिंह यादव, अटेली से आरती राव, नारनौल से ओमप्रकाश यादव और महेंद्रगढ़ से कंवर सिंह को राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से टिकट दी। जबकि नांगल चौधरी में डॉ. अभय सिंह और बादशाहपुर में राव नरबीर को उनके विरोध के बीच चुनावी मैदान में उतारा। राव नरबीर तो चुनाव जीत गए लेकिन अभय सिंह चुनाव हार गए। इलाके में मजबूत पकड़ होने के कारण राव इंद्रजीत सिंह ने प्रचार की जिम्मेदारी खुद संभाली। हालांकि वह बादशाहपुर और नांगल चौधरी में चुनाव प्रचार करने नहीं गए।