ट्रंप की आलोचना पर रिपोर्ट का जवाब: विदेशी कंपनियों की नजर भारत पर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत के खिलाफ जहर उगलना बंद नहीं हुआ है. भारत की तरक्की और इकोनॉमी ट्रंप को बिल्कुल भी हजम नहीं हो रही है. इसी वजह से वो कभी भारत को टैरिफ किंग कहते हैं, जो कभी भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगा देते हैं. एच1बी वीजा का शुल्क बढ़ाना भी भारत के खिलाफ बड़ा एक्शन है. ट्रंप जानते हैं कि इस वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारतीयों की ओर से किया जाता है. इन सब के अलावा ट्रंप यूक्रेन में हो रहे नरसंहार या यूं कहें कि यसयुद्ध का जिम्मेदार भी भारत को मानते हैं, क्योंकि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर डॉलर दे रहा है. जिसकी वजह से रूस की वॉर मशीन को मिलने का काम लगातार हो रहा है.
इन तमाम आरोपों के बाद भी भारत भी झुका नहीं है. साथ ही अपने कामों पर फोकस किए हुए हैं. अब एक ऐसी रिपोर्ट आई है, जो ट्रंप की नींद हराम कर सकती है. साथ ही इन तमाम आरोपों का मुंहतोड़ जवाब भी मिला है. स्टैंडर्ड चार्टेड की ओर से हाल ही में एक सर्वे किया गया है. जिसमें कहा गया है कि अमेरिका, चीन और ब्रिटेन की कंपनियां भारत में काम करने का संजो रही हैं. इन देशों की कंपनियों का ख्वाब है कि वो भारत में काम करें या फिर अपने कारोबार को भारत के साथ और भी ज्यादा गहरा करें. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रिपोर्ट में किस तरह की बातें कहीं गई हैं.
स्टैंडर्ड चार्टेड का सर्वे
भारत अपनी कमर्शियल एवं मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को नए सिरे से व्यवस्थित करने की मंशा रखने वाली कंपनियों के लिए अब सबसे आकर्षक गंतव्य बनकर उभर रहा है. स्टैंडर्ड चार्टर्ड की यह रिपोर्ट कहती है कि सर्वे में शामिल करीब आधी कंपनियों ने भारत के साथ अपना व्यापार बढ़ाने या बरकरार रखने का इरादा जताया है जबकि दो में से एक कंपनी भारत में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को बढ़ाने या बनाए रखने की सोच रही है. खासकर अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और हांगकांग की 60 फीसदी से अधिक कंपनियां भारत के साथ अपना व्यापार बढ़ाने की योजना बना रही हैं.
भारत में कंपनियां देख रहीं भविष्य
रिपोर्ट में 17 प्रमुख बाजारों और चार उद्योगों के 1,200 शीर्ष अधिकारियों के विचार शामिल हैं. यह राय आने वाले तीन से पांच वर्षों में वैश्विक व्यापार रणनीतियों पर केंद्रित है. रिपोर्ट के मुताबिक, व्यापार शुल्क, उभरती प्रौद्योगिकियां और वैश्विक आर्थिक वृद्धि ऐसे प्रमुख कारक हैं जो वैश्विक व्यापार के भविष्य को प्रभावित करेंगे. करीब 53 प्रतिशत कंपनियों ने इन्हें रणनीतिक रूप से सबसे ऊपर रखा है. कॉरपोरेट दिग्गजों का मानना है कि आने वाले तीन से पांच वर्षों में एशिया की व्यापार वृद्धि में अग्रणी भूमिका रहेगी जबकि पश्चिम एशिया और अमेरिका भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे.




