पंजाब पुलिस थाने पर हमला, NIA ने 11 आरोपियों के खिलाफ दायर किया आरोपपत्र

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को पंजाब के एक पुलिस थाने पर एक प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन द्वारा आयोजित आतंकी हमले में संलिप्तता के लिए 11 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पंजाब के मोहाली स्थित एक विशेष एनआईए अदालत में दायर आरोपपत्र में सभी गिरफ्तार आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
इस मामले में पहचाने गए 11 अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं. बयान में कहा गया है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के विदेशी आकाओं, हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया, मन्नू अगवान और गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी नवशेरियन ने इस हमले की सार्वजनिक रूप से ज़िम्मेदारी ली थी. यह हमला इस साल 6 अप्रैल की देर रात हुआ था.
विदेशी आतंकवादियों की साजिश
बटाला ज़िले के किला लाल सिंह पुलिस स्टेशन पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) से हमला बीकेआई के सदस्यों ने, विदेशी आतंकवादियों के सक्रिय समर्थन से, आतंक फैलाने और भारत विरोधी समूहों के एजेंडे को बढ़ावा देने के इरादे से किया था. मई में राज्य पुलिस से मामले की ज़िम्मेदारी अपने हाथ में लेने वाली एनआईए की जांच से पता चला कि यह साजिश विदेशी आतंकवादियों द्वारा निर्देशित थी, जिन्होंने पारिवारिक संबंधों और अन्य कमजोरियों का फायदा उठाया.
कट्टरपंथी बनाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल
जांच एजेंसी ने कहा कि उन्होंने भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए पंजाब के कमजोर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि एनआईए इस हमले में शामिल फरार लोगों और अन्य अज्ञात षड्यंत्रकारियों को पकड़ने के प्रयास में मामले की जांच जारी रखे हुए है.
भारत विरोधी समूहों के एजेंडे को बढ़ावा
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के विदेश स्थित आकाओं, हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया, मन्नू अगवान और गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी नवशेरियन ने इस हमले की सार्वजनिक रूप से जिम्मेदारी ली थी. यह हमला इस साल छह अप्रैल की देर रात को हुआ था. बटाला जिले के किला लाल सिंह पुलिस थाने पर रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी) हमला बीकेआई सदस्यों द्वारा किया गया था, जिसे विदेशी आतंकवादियों का सक्रिय सहयोग था. इसका उद्देश्य आतंक फैलाने और भारत विरोधी समूहों के एजेंडे को बढ़ावा देना था.




