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IPS पूरन कुमार के लैपटॉप में छुपे मौत के राज, परिजनों ने देने से किया इनकार और कहा यह बात

चंडीगढ़: एडीजीपी आत्महत्या मामले की जांच कई अहम सबूतों के अभाव और प्रक्रिया में रुकावट के चलते आगे नहीं बढ़ पा रही है। सूत्रों के अनुसार परिजनों ने उस लैपटॉप को पुलिस को देने से इन्कार कर दिया है जिसमें सुसाइड नोट टाइप किया गया था। इस कारण पुलिस की तफ्तीश फिलहाल अटक गई है।

सूत्रों के अनुसार, एडीजीपी पूरण कुमार की मौत की जांच को आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहले आधिकारिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट की आवश्यकता है। इससे यह स्पष्ट होगा कि मामला आत्महत्या का है या इसके पीछे कोई और कारण है। अब तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उन्होंने मरने से पहले किन-किन लोगों को ईमेल भेजे और किस परिस्थिति में। जांच के लिए बरामद लैपटॉप से फिंगरप्रिंट मिलाना जरूरी होगा ताकि यह पता चल सके कि सुसाइड नोट किसने टाइप किया। बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के एसआईटी आगे की जांच नहीं कर सकती। रिपोर्ट के बाद ही एसआईटी तकनीकी और फॉरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर अगला कदम तय करेगी। कानूनी प्रावधानों के अनुसार यदि किसी मामले में मृतक के परिजन पोस्टमार्टम करवाने की सहमति नहीं देते तो परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस कानून के तहत स्वयं पोस्टमार्टम की प्रक्रिया करवा सकती है ताकि सबूतों को सुरक्षित रखा जा सके।

बैलिस्टिक विशेषज्ञ और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में होगा पोस्टमार्टम

परिवार की मांग पर यह तय किया गया कि पोस्टमार्टम पीजीआई के डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जाएगा। साथ ही मेडिकल बोर्ड में एक बैलिस्टिक विशेषज्ञ और एक मजिस्ट्रेट को शामिल करने की मांग को भी स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम प्रक्रिया शुरू की। पीजीआई में मेडिकल बोर्ड का गठन हो चुका है। बैलिस्टिक विशेषज्ञ गोली लगने के मामलों में सबसे अहम यह जांच करता है कि जिस पिस्टल से गोली चली क्या खोखा और गोली उसी पिस्टल की हैं या नहीं। हालांकि शव को छह दिन बीत चुके हैं जिससे डीकंपोज शुरू हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे जांच के दौरान कई अहम सबूत प्रभावित हो सकते हैं। जैसे गोली चलने के बाद शरीर और कपड़ों पर बचा बारूद (गन पाउडर) का अवशेष, जो बेहद नाजुक होता है और समय बीतने के साथ नष्ट हो सकता है।

डीएसपी और एसआई के बीच गलतफहमी से शव पहुंचा पीजीआई

एडीजीपी के परिजनों की गैर-मौजूदगी में शव को सेक्टर-16 अस्पताल की मोर्चरी से पीजीआई शिफ्ट कर दिया गया। इस पर परिवार ने आपत्ति जताई। सूत्रों के अनुसार शव शिफ्ट करने की जानकारी न एसएसपी को थी न ही उच्च अधिकारियों को। जब एसएसपी ने सेक्टर-11 थाना प्रभारी जयवीर राणा से पूछा कि शव को बिना इजाजत क्यों शिफ्ट किया गया तो उन्होंने इस बात की जानकारी से इन्कार कर दिया।

चौकी प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शव डीएसपी उदयपाल के आदेश पर शिफ्ट किया गया था। एसएसपी ने जब डीएसपी उदयपाल से जवाब मांगा तो उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ शव को सेक्टर-16 अस्पताल से रिलीज करने के लिए कहा था ताकि परिजन पार्थिव शरीर के दर्शन कर सकें। संदेश को लेकर डीएसपी और एसआई में गलतफहमी हुई और शव पीजीआई पहुंचा दिया। शव के पीजीआई पहुंचते ही एसएसपी खुद मोर्चरी के बाहर पहुंचीं और जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाई। साथ ही मृतक के परिजनों को यह जानकारी दी। पुलिस सूत्रों के अनुसार परिवार ने पहले ही पुलिस को सूचित किया था कि पोस्टमार्टम से पहले उनकी दोनों बेटियां अंतिम दर्शन करना चाहती हैं।

जांच के लिए रोहतक पहुंची एसआईटी

चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी की टीम जांच के लिए रोहतक पहुंच गई है। टीम रोहतक थाने में दर्ज एफआईआर को लेकर जांच कर रही है। एसआईटी चीफ पुष्पेंद्र कुमार ने हरियाणा पुलिस से जेल में बंद एडीजीपी के गनमैन के खिलाफ दर्ज एफआईआर का पूरा रिकॉर्ड मांग लिया है। आईजी के पूर्व रीडर श्याम सुंदर व पूर्व एसआईएस सुनील कुमार कुमार को नोटिस दिया गया है। 13 अक्तूबर को दोनों अधिकारियों को चंडीगढ़ पहुंचकर जांच टीम के सामने अपने बयान दर्ज करवाने हैं। अधिकारिक तौर पर पुलिस कुछ भी नहीं बता रही है।

बताया तो यह भी जा रहा है कि दो दिन से एसआईटी की टीम रोहतक में मंथली प्रकरण को अपने तरीके से जांच कर रही है। अर्बन एस्टेट थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़ा रिकॉर्ड एकत्रित किया जा रहा है। छह अक्तूबर को रोहतक पुलिस ने एडीजीपी के सुरक्षाकर्मी हवलदार सुशील कुमार के खिलाफ शराब ठेकेदार प्रवीण बंसल की शिकायत पर केस दर्ज किया था। एसआईटी जल्द अदालत से अनुमति लेकर सुशील से भी पूछताछ कर सकती है।

 कॉल डिटेल में ये हुआ खुलासा 

एडीजीपी आत्महत्या मामले में पुलिस को कॉल डिटेल से नए सुराग मिले हैं। सूत्रों के अनुसार आत्महत्या से पहले एडीजीपी ने कई अधिकारियों, अपने वकील और कुछ परिचितों को कॉल की थी। एसआईटी ने इन कॉल डिटेल्स को जांच का हिस्सा बनाते हुए बातचीत के क्रम और समय की बारीकी से पड़ताल शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि जिन लोगों से एडीजीपी ने आखिरी बार बातचीत की थी। जल्द उनसे पूछताछ की जा सकती है। जांच टीम यह पता लगाने की कोशिश में है कि क्या इन वार्तालाप में कोई ऐसा दबाव या तनाव झलक रहा था जिसने उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर किया।

अब तक की घटनाक्रम की समयरेखा

7 अक्टूबर: सेक्टर-11 स्थित कोठी में एडीजीपी पूरण कुमार ने खुद को गोली मार ली।

8 अक्टूबर: पत्नी अमनीत पी. कुमार जापान से लौटीं, पोस्टमार्टम से इनकार किया और शिकायत दर्ज कराई।

9 अक्टूबर: सुसाइड नोट के आधार पर 11 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज।

10 अक्टूबर: एफआईआर पर असंतोष जताया गया, 6 सदस्यीय एसआईटी गठित हुई।

11 अक्टूबर: एफआईआर में धाराएं जोड़ी गईं, शव को बिना सहमति पीजीआई ले जाने पर विवाद।

12 अक्टूबर: सरकार और अफसरों ने परिवार से बातचीत की, महापंचायत में डीजीपी को हटाने की मांग के साथ 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया।

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