हरियाणा

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025: यमुनानगर की पूनम सैनी के स्टॉल पर लगी भीड़, बांस का अचार और मुरब्बा लोगों को खूब भा रहा

कुरुक्षेत्र: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा और अन्य राज्यों से लोग अलग-अलग प्रकार की स्टॉल देखने और स्वादिष्ट व्यंजन चखने के लिए पहुंचे. इस महोत्सव में यमुनानगर की पूनम सैनी ने बांस के अचार और मुरब्बा का स्टॉल लगाया है. जहां लोग उनके बनाए अचार की जमकर तारीफ कर रहे हैं. पूनम का स्टॉल महोत्सव में दूर-दूर से आए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

ऐसे की शुरुआत:  पूनम ने बताया कि, “मैंने साल 2019 में स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अचार बनाने का काम शुरू किया था. शुरू में ज्यादा सफलता नहीं मिली. इसके बाद मेरे साथी ने मुझे कुछ और काम करने की सलाह दी. लेकिन मैंने अपने कुकिंग के जुनून और धैर्य से अचार बनाने का काम जारी रखा. आज मेरी मेहनत रंग लाई और हमने हरियाणा और आसपास के राज्यों में अपनी अलग पहचान बनाई.”

बांस का अचार और मुरब्बा: पूनम सैनी बताती हैं कि, “मेरे बनाए अचार और मुरब्बे में खासतौर पर बांस का अचार और मुरब्बा शामिल है. बहुत कम लोग बांस का अचार और मुरब्बा खाते हैं, लेकिन यह स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होता है. इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है. मैंने 3 साल पहले बांस का अचार देखा और उसके बाद उन्होंने इसे बनाना शुरू किया. अब लोग मेरे बनाए अचार और मुरब्बे के लिए स्पेशल ऑर्डर भी देते हैं.”

15 से 16 प्रकार के अचार और अन्य उत्पाद: पूनम सैनी ने बताया कि, “मैं 15 से 16 प्रकार के अचार और 4 से 5 प्रकार के मुरब्बा बनाती हूं. इसके अलावा वे विभिन्न प्रकार की चटनियां और अन्य ऑर्गेनिक उत्पाद भी तैयार करती हूं. मेरे बनाए हुए बांस के अचार और मुरब्बे में कच्चा बांस इस्तेमाल किया जाता है, जिसे सब्जी मंडी से खरीदती हूं और घर पर अचार तैयार करती हूं.”

2000 रुपए से शुरू किया था कारोबार: पूनम बताती है कि, ” मैंने अचार बनाने का काम 2000 रुपए से शुरू किया था. शुरुआती समय में कई लोगों ने मेरे पति को सलाह दी कि पूनम को यह काम छोड़ देना चाहिए, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. मैंने अपने पति से कहा कि मैं सफलता जरूर हासिल करूंगी. आज मेरा अचार और मुरब्बा बनाने का कारोबार काफी आगे तक बढ़ गया है. मेरा सालाना लाखों का टर्नओवर है. हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में मुझे सम्मानित भी किया गया. गांव के सरपंच और ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया.”

करीब 30 महिलाओं को दिया रोजगार: पूनम सैनी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं, जिसमें उनकी मदद से करीब 30 महिलाएं अचार और मुरब्बा बनाना सीख चुकी हैं. इन महिलाओं को अब अपनी रोजी-रोटी मिल रही है और वे अपना काम खुद चला रही हैं. पूनम न केवल अपने लिए रोजगार स्थापित कर रही हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी हैं.

ग्राहकों की पसंद बना अचार: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पूनम के स्टॉल पर आने वाले लोग उनके उत्पादों से बेहद खुश हैं. पानीपत के बुजुर्ग सतपाल ने बताया कि, “उन्होंने जीवन में पहली बार बांस का अचार और मुरब्बा खाया और इसका स्वाद उन्हें बेहद पसंद आया.” वहीं, उत्तराखंड की अमिता ने भी उनके मुरब्बे की तारीफ की और कहा कि, “यह स्वाद और गुणवत्ता दोनों में शानदार है.”

दूसरे राज्यों के लोग भी करते हैं ऑर्डर: पूनम सैनी का सफर ग्रामीण परिवेश से शुरू हुआ. उन्होंने छोटे स्तर से अपने सपनों को उड़ान दी और आज उनका अचार हरियाणा के बड़े मेले और स्टॉल में बिकता है. न केवल उनके उत्पादों की मांग राज्य में है, बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग उन्हें ऑर्डर देते हैं.

बांस के अचार से लाभ: बांस का अचार और मुरब्बा स्वास्थ्यवर्धक है और इसे खाने से हड्डियों की मजबूती बढ़ती है. पूनम का यह उत्पाद सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि पौष्टिक भी है. उनके द्वारा बनाए गए ऑर्गेनिक उत्पादों ने महोत्सव में लोगों को आकर्षित किया है और उनकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है.

भविष्य की योजनाएं : पूनम सैनी ने बताया कि वे भविष्य में अपने उत्पादन और व्यवसाय को और बढ़ाने की योजना बना रही हैं. वे अधिक महिलाओं को शामिल करके रोजगार के अवसर और बढ़ाना चाहती हैं.उनका उद्देश्य केवल खुद की सफलता नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का है.

यमुनानगर की पूनम सैनी की कहानी साबित करती है कि छोटे स्तर से मेहनत और आत्मविश्वास के साथ कोई भी महिला व्यवसाय में बड़ा मुकाम हासिल कर सकती है. पूनम के सफलता की कहानी अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा है.

Related Articles

Back to top button