Sex workers राष्ट्रीय न्यूज़ डेस्क। नई दिल्ली। संवाददाता। भारत में एक तबका ऐसा भी है जो अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए अपने देह का व्यापार Prostitution करता है और अपने शरीर को बेचकर के पैसा कमाता है जिसे आसान भाषा में वेश्यावृत्ति कहा जाता है। आज हम आपको बता दें कि भारत में एक ऐसा गांव हैं जहां पर आज भी खुलेआम वेश्यावृति होती है।
यहां पर रहने वाली महिलाएं और लोग हमसे और आपसे अलग नहीं है। वह भी हमारे जैसे ही हैं उनके भी दो हाथ, एक मुंह और दो आंखें हैं, लेकिन मजबूरी, भूख, गरीबी, भारी कर्ज उन्हें यह सब करने के लिए मजबूर कर देती है। हालांकि कुछ खास किस्म की जनजातियां ही यह काम करती हैं, लेकिन कुछ जगहों पर हर एक वर्ग के लोग यह काम करते हैं। इन गांव में सेक्स वर्कर्स रहती हैं और यहां पर पुरुष काम नहीं करते हैं, बल्कि महिलाएं यह धंधा करती हैं और उनके ग्राहक जो आते हैं, उनसे उन्हें जो पैसा मिलता है और इसी पैसे से उनका घर चलता है।
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से 3 घंटे की दूरी पर राजस्थान के अलवर जिले के ढेन्ढोली गांव की अधिकांश महिलाएं इसी काम से अपना जीवन चलाती हैं। आपको बता दें कि जर्मनी समाचार संस्थान DW के द्वारा कवर की गई स्टोरी में यह जानकारी मिली है कि यहां पर जो महिलाएं सेक्स sex workers का काम करती हैं, एक महीने में उनकी आमदनी में 50 से 60000 तक हो जाती है। संस्थान के लोगों ने यहां पहुंच कर कुछ महिलाओं से बात भी की, जिसमें एक महिला सुष्मिता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह इस काम से 50 से ₹60000 हर महीने कमा लेती हैं। उनके परिवार पर 10 लाख रुपए का कर्ज भी था, जिसे कि उन्होंने 3 साल में उतार दिया है। अब वह घर भी बनवा रही है और अब जमीन भी खरीद रही हैं।
इसके साथ ही एक दूसरी महिला जिनका नाम निशा (परिवर्तित नाम) था, ने बताया कि उनकी मम्मी पहले यह काम किया करती थी फिर उन्होंने अपनी मम्मी से यह काम करने के लिए मना कर दिया और एक दलाल के माध्यम से खुद मुंबई जा पहुंची। मुंबई में उनके साथ में काफी बुरा हुआ। उन्हें मारा पीटा भी गया और पैसे भी नहीं दिए गए, लेकिन बाद में वह एक दलाल से जुड़ी, तो उसने उन्हें एक बड़े सेक्स कारोबार sex trafficking से कनेक्ट कर दिया।
भारत में वेश्यावृत्ति अपराध नहीं है, बल्कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग और मानव व्यापार अपराध की श्रेणी में आता है। अगर कोई महिलाओं को खरीदता और बेचता है तो यह गंभीर किस्म का अपराध है, लेकिन यह इतने रहस्यमयी तरीके से होता है जिससे कि किसी को कुछ पता भी नहीं चलता। कुछ मामलों में पुलिस कार्यवाही भी करती है, जो की बहुत कम है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 15 से 35 वर्ष की लगभग 30 लाख महिला सेक्स वर्कर्स हैं।
DW के मुताबिक यह लोग आदिवासी समुदाय से आते हैं और खास तौर से खानाबदोश है, जिन्हें कि बंजारा भी कहा जाता है। सेक्स के धंधे में उतरने से पहले यह कलाकारी और कलाबाजी तथा जोखिम से भर काम करके लोगों का मनोरंजन किया करते थे और इसी से उनका गुर्जर-बसर चलता था, लेकिन इसमें उन्हें इतना भी पैसा नहीं मिलता था कि वह दो वक्त की रोटी भी कमा सके। एक महिला जिसका नाम कविता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि अपने जीवन यापन के लिए बचपन में वह भीख मांगा करती थी, जब से वह सेक्स वर्कर का काम करने लगी तब से उनके जीवन की दशा काफी सुधर गई है। आज उनके पास पैसा भी है, घर भी है और जमीन भी है। खास तौर से कंजर और दूसरी आदिवासी समुदाय की महिलाओं के द्वारा यह काम किया जाता है। पुरुष उन्हें काफी ज्यादा इज्जत देते हैं और घर का पूरा काम संभालते हैं तथा महिलाएं पैसा कम कर लाती हैं जिससे कि घर चलता है।
चूंकी सेक्स को बैंक काम नहीं मानते, इसी वजह से उन्हें कर्ज भी नहीं देते हैं। इसी बात का फायदा साहूकार और सूदखोर उठाते हैं और इन महिलाओं को महंगे ब्याज पर कर्ज देते हैं। यह ब्याज इतना ज्यादा होता है कि उन्हें चुकाने में काफी मुश्किल होती है, लेकिन उनके पास में दूसरा रास्ता भी नहीं होता है।
ब्रिटिश काल में 1871 में इन जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम के तहत आपराधिक जाती घोषित कर दिया था, लेकिन जब भारत को 1947 में आजादी मिली, तभी इस अधिनियम को भी समाप्त कर दिया गया और इन्हें इस कलंक से मुक्त कर दिया गया, लेकिन आज भी लोगों के मन में उनके प्रति रूढ़िवादी की भावना इस तरह से बनी हुई है। यह कहीं दूर के लोग नहीं है बल्कि हमारे और आपके बीच के लोग हैं। पेट की भूख इन्हें कुछ भी करने के लिए मजबूर करती है। इन महिलाओं के ग्राहक कम कमाई करने वाले लोग आसपास के गांव के मर्द, ट्रक ड्राइवर और दूसरे लोग हुआ करते हैं। अगर आप उनके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं तो कम से कम आप उनके मन लिए अपने मन में सम्मान की भावना जरूर रखें।