हरियाणा

छोटी काशी भिवानी के सांस्कृतिक सदन में अनुपम राजस्थानी गायन व नर्तन से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार मीना सपेरा एवं दल ने बांधा समां चार दिवसीय लोक कला उत्सव का हुआ आगाज

भिवानी, (ब्यूरो): बीन का लहरा, ढफ की धमाधम और ढोलक की थाप से सांस्कृतिक सदन का सभागार का मंच लरज उठा. कला, साहित्य व संस्कृति को समर्पित संस्था सांस्कृतिक मंच के सहयोग से उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज भारत सरकार तथा कला एवं सांस्कृतिक कार्यविभाग हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में 4 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक होने वाले लोक कला उत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन विधायक घनश्याम सर्राफ, वित्त सलाहकार सुरेन्द्र शर्मा एडवोकेट, मंच के संरक्षक डॉक्टर धर्मवीर ढिल्लों,अध्यक्ष प्रो. नीता चावला व मीना सपेरा ने संयुक्त रूप से गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया. जयपुर से पधारी अंतर्राष्ट्रीय राजस्थानी नृत्याँगना मीना सपेरा व दल ने भव्य प्रस्तुति देते हुए गणेश वन्दना महाराज गजानंद आओ जी म्हारी सभा मै रंग बरसावो जी से की। मंच के प्रवक्ता व नोडल अधिकारी डॉक्टर बुद्धदेव आर्य व जगत नारायण भारद्वाज ने संस्था का परिचय तथा चार दिवसीय कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह दल कालबेलिया,भवई,चरी,घूमर तथा राजस्थानी लोकगीत के लिए देश विदेश की यात्रा कर चुका है.अनीता नाथ तथा डॉक्टर वंदना वत्स ने अपने चिर परिचित अंदाज में मंच संचालन करके दर्शकों व कलाकारों की प्रशंसा को बटोरा। कलाकार साबूलाल यश व साथियों ने राजस्थानी स्वागत गीत सोनै री धरती जठै ओ जी चाँदी रो आसमान रंग रंगीलो म्हारो प्यारो राजस्थान ओ जी केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारै देस रे गाया तो सभागार तालियों की गडगडाहट से गूँज उठा। मीना सपेरा की सखियों ने किसनगढ शैली का चरी नृत्य म्हारै माथां नै मैमद ल्याज्यो जी,मैं तो नाचबां नै आई बाजूबंद भूल आई,चिरमी रा डाला चार वारी जाऊं चिरमी नै प्रस्तुत किया तो सभी उपस्थित जन झूम उठे।लोक कलाकार श्रीराम जी ने महाराणा प्रताप का यशोगान -नीलै घोडै रो असवार म्हारा ओ मेवाडी सिरताज म्हारी सुणतां ही ज्याज्यो जी, गाया तो दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी।राजस्थान में पानी की कमी के कारण महिलाएँ सात सात मटके सिर पर रखकर लाती रही हैं उसी से प्रेरित नृत्यांगना ने सिर पर सात मटके रखकर पांव के नीचे गिलास रखकर ,धरती से 500 का नोट उठाकर भवई नाच -माटी कै धोरां सै होकर पाणी का मटका ल्यावै, गोरडी कर सोलह सिणगार चाली पाणी नै पणिहार,दल बादली रो पाणी सैयां कुण तो भरै,म्हरो गोरबंद नखरालो किया तो दर्शकों ने दांतो तले ऊंगली दबा ली तथा सभागार झूम उठा।प्रसिद्ध घूमर नृत्य म्हारी घूमर सै नखराली एमां घूमर रमबा म्हे ज्यास्यां पर खूब तालियां बटोरी ।कलाकारों ने इन लोकगीतों- काचा काचा छोटा छोटा निंबूडा,धरती धोरां री जय जय राजस्थान आतो स्वर्गां नै सरमावै इं पर देव रमण नै आवै,की छटा बिखेरने के साथ जय जय हरियाणा का उद्घोष किया तब हरियाणा वासियों को भी लगा की सांस्कृतिक विरासत सांझी होती है।श्याम भजन ओ श्याम बिहारी कजरारे तेरे मोटे मोटे नैण पर दर्शकों ने भी भजन गाकर कलाकारों का साथ दिया।अर र र र र कालो कूद पड्यो मेलै मै-कालबेलिया नृत्य से कार्यक्रम का समापन होने पर सभागार में उपस्थित जन ने खडे होकर तालियों की गडगडाहट से यह दर्शा दिया कि भिवानी के लोग कलाकारों का कितना सम्मान करते हैं। सभी कलाकारों तथा अतिथिगण का सम्मान स्मृति चिन्ह देकर किया स्वागत समिति के सदस्यों, हाइगम के उपाध्यक्ष सुरेश गुप्ता,सज्जन अग्रवाल एडवोकेट,सुषमा दीक्षित, आशुतोष शर्मा , रीना तनेजा, शशि अरोडा, डॉ.नीलांगिनी, शशी परमार, रेखा तंवर, भाजपा नेत्री नमिता तंवर , रेणु वधवा, पारुल वर्मा, बलदेव शर्मा, संदीप वधवा, गजराज जोगपाल, प्रदीप वर्मा, सुभाष वर्मा प्रो.जोगिन्दर कुमार ,डॉ.जयपाल कला साधक तरुण कुमार विजय सोलंकी, कांति कौशिक तथा अनिल वत्स द्वारा किया गया। इस अवसर पर मंच के सदस्यों तथा डॉ.कर्ण पुनिया, डॉ.वंदना पुनिया, नरेंद्र शर्मा, प्राचार्य रविन्द्र वैद्य सविता जैन, उषा मक्कड, नीलम चौहान तथा शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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