सीईटी परीक्षा में दो दिव्यांग महिला परीक्षार्थियों की मामा-भांजी ने की मदद, मामा ने 70 फीसदी अस्थिबाधित महिला परीक्षार्थी को केंद्र पर पहुंचाया तो भांजी ने दृष्टिबाधित महिला परीक्षार्थी का लेखक बन की मदद

भिवानी, (ब्यूरो): जहां एक ओर सी.ई.टी. परीक्षा 2025 के दौरान राज्य सरकार ने इस परीक्षा के सफल संचालन के लिए अपनी भूमिका निभाई वहीं भिवानी के एक मामा-भांजी ने दो अलग-अलग दिव्यांग महिला परीक्षार्थियों की मदद कर परीक्षा के इस पावन यज्ञ में अपनी मदद रूपी आहुति दी। 11वीं की छात्रा भांजी ने जहां दृष्टिबाधित महिला सीईटी परीक्षार्थी के लेखक के तौर पर उसकी परीक्षा देने में मदद की वहीं मामा ने 70 फीसदी दिव्यांग महिला को गांव से भिवानी स्थित परीक्षा केन्द्र तक निजी वाहन में पहुंचाने की मदद की।
भिवानी जिले के गांव उमरावत के रहने वाले दृष्टिबाधित दंपति ओमप्रकाश व उनकी पत्नी जसवीर देवी कौशिक ने अपनी पहचान में जब 11वीं की छात्रा नितिका दूहन से जब बतौर लेखक सीईटी परीक्षा में मदद करने के लिए कहा तो उसने अपने परिजनों की सहमति से तुरंत इस परीक्षा में लेखक के तौर पर सहायता के लिए हामी भर दी तथा भिवानी के सेक्टर 13 स्थित चौधरी बंसीलाल पॉलिटेक्निकल कालेज में दृष्टिबाधित दिव्यांग जसवीर देवी कौशिक के राइटर के तौर पर सीईटी परीक्षा में उनका पेपर लिखा। वहीं छात्रा नितिका के मामा विकास कुमार जो कि तोशाम में ग्राम सचिव के पद पर तैनात है, उनसे जब नजदीकी गांव ढाणी सरल की 70 फीसदी दिव्यांग सीईटी परीक्षार्थी पूनम व उसके पिता ने संपर्क किया तो उन्होंने तोशाम बस अड्डे पर अपनी डयूटी के दौरान निजी वाहन की व्यवस्था कर सीईटी परीक्षार्थी पूनम व उसके पिता को भिवानी के आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल परीक्षा केन्द्र तक पहुंचाने का कार्य किया। अलग-अलग स्थानों पर दिव्यांग सीईटी परीक्षार्थियों की मदद करने के पीछे मामा-भांजी का यही उद्देश्य था कि परीक्षार्थी न केवल समय पर परीक्षा केंद्र पर पहुंचे बल्कि कर्मचारी के तौर पर अपना भविष्य बनाकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। गौरतलब है कि सीईटी 2025 की परीक्षा हरियाणा राज्य में रोजगार पाने के लिए एक मुख्य परीक्षा है जोकि तीन साल बाद आयोजित की जा रही है। इस परीक्षा को देने में कोई भी योज्य परीक्षार्थी देने से चूकना नहीं चाहता। ऐसे में दिव्यांग परीक्षार्थियों को जहां विभिन्न शारीरिक परेशानियों को सामना करना पड़ता है, ऐसे में मदद पहुंचाने वाले भी इसी समाज में मौजूद हैं। जहां इन मामा-भांजी ने दृष्टिबाधित व अस्थि बाधित दिव्यांग परीक्षार्थियों की मदद की वहीं विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने भी परीक्षार्थियों के ठहरने व आने जाने की व्यवस्था में प्रशासन का साथ दिया है।