जीवन में गुरु ही ब्रह्मा है,गुरु ही विष्णु है और गुरु ही महेश्वर है: संत कंवर हुजूर
शिविर में 215 युवाओं ने किया रक्तदान
भिवानी,(ब्यूरो): जो गुरु को सहाय मान लेता है उसे किसी का भय नहीं रहता।बनेगी तो केवल सतगुरु से ही बनेगी।गुरु बिना गति नहीं है। शिष्य के जीवन में गुरु ही ब्रह्मा है,गुरु ही विष्णु है और गुरु ही महेश्वर है अर्थात गुरु ही भक्ति बीज का जन्मदाता है,गुरु ही उस बीज मंत्र का पोषक है और गुरु ही मुक्ति दाता है। यह सत्संग वचन परम संत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लाखों की संख्या में उमड़ी साध संगत को दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम मुख्यालय में फरमाए। हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि गुरु का महत्व शिष्य के जीवन में सबसे बड़ा है। बेशक मां बाप का ऋण जीवन में कभी नहीं उतर सकता क्योंकि मां बाप हमें जीवन देते हैं परंतु गुरु तो अपने शिष्य को ना केवल जीवन देता है बल्कि नाम भक्ति से जीवन का उद्देश्य बताता है।इतना ही नहीं गुरु अपने शिष्य को मुक्ति का मार्ग भी सुझाता है।हुजूर ने कहा कि उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा गुरु की पूर्णता का प्रतीक है।पूर्ण गुरु को पूर्ण समर्पण आपको भी पूर्णता प्रदान करता है।गुरु ना केवल परमात्मा का स्वरूप है बल्कि परमात्मा से बढ़ कर है क्योंकि परमात्म के अदृश्य स्वरूप को गुरु ही हमारे सामने प्रकट करता है।हुजूर ने फरमाया कि जिस वस्तु के संग में हम रहते हैं उसी के गुण भी हमारे अंदर प्रगट होने शुरू हो जाते हैं।दुष्ट का संग दुष्टता को उभरता है और नेक का संग नेकी को।कितनी पुरानी कहावत है कि जैसी संगत वैसी मन गत।इसीलिए संत सतगुरु की संगत हर पल करो क्योंकि वो ज्ञान के भंडार हैं उनके वचन बिना किसी संदेह के स्वीकार कर लो बेशक चाहे उसमें हानि ही क्यों ना दिखती हो।गुरु महाराज जी ने कहा कि सत्संग सबसे बड़ा है। तीर्थ करने का एक फल मिलता है।सतगुरु के दर्शन से आपको धर्म अर्थ काम मोक्ष के रूप में चार फल मिलते हैं लेकिन सतगुरु के सत्संग के एक पल से ही आपको अड़सठ र्थों का फल मिल जाता है। उन्होंने कहा कि आज कलयुग चरम पर है। इस अवसर पर रक्तदान शिविर भी लगाया जिसमें 215 यूनिट रक्त का दान किया गया।हुजूर महाराज ने कहा कि आप का दिया रक्त किसी को जीवन देता है अत: बढ़चढ़ कर रक्तदान करें।