झांसी में सरकारी फंड हड़पने का खेल, शादीशुदा जोड़ों ने दोबारा रचाई शादी, सामूहिक विवाह में लिए सात फेरे

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, जिसका मकसद है गरीब बेटियों की मदद करना, लेकिन झांसी जिले में इस योजना का मजाक बना दिया गया है. सामूहिक विवाह के दौरान सात ऐसे जोड़े सामने आए, जो दो साल पहले ही शादी कर चुके थे. इनके बच्चे तक हैं, लेकिन सरकारी पैसे की लालच में फिर से मंडप सजा लिया. ये सिर्फ फर्जीवाड़ा नहीं, ये सरकारी सिस्टम की पोल खोलने वाला स्कैंडल है.
3 नवंबर को कोचा भावर विवाह घर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह संपन्न हुआ था. 285 गरीब जोड़ों ने सामूहिक विवाह में शादी करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. समारोह में इन्होंने बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज की और सबकुछ तय प्रक्रिया के मुताबिक दिखाई दिया, लेकिन जैसे ही जांच शुरू हुई तो अधिकारियों के पैरों तले जमीन ही खिसक गई.
दो साल पहले की शादी, सामूहिक विवाह में फिर लिए सात फेरे
जांच में पता चला कि इनमें से सात जोड़े पहले से शादीशुदा थे. दो-दो साल से साथ रह रहे थे, बच्चे तक हैं. फिर भी सरकारी योजना के नाम पर दोबारा शादी रचा डाली. इसके पीछे की वजह सिर्फ एक लाख रुपए का सरकारी अनुदान. अब ये सवाल उठ रहा है कि जब आवेदन की जांच समाज कल्याण विभाग, बीडीओ, पंचायत सचिव और पर्यवेक्षक करते हैं तो ये सात फर्जी जोड़े उनके जाल से कैसे बच निकले, क्या कागज पर सब कुछ पहले से ‘ओके’ था, क्या अधिकारी भी इस खेल का हिस्सा थे?
समाज कल्याण अधिकारी ने दी जानकारी
समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी है कि हर जोड़े की जांच सही से हो, लेकिन यहां तो सबकुछ आंख मूंदकर पास कर दिया गया. बिना सत्यापन के फाइलें आगे बढ़ीं और अब सात फर्जी शादी के मामले ने पूरे प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है. समाज कल्याण अधिकारी ललिता यादव ने बताया कि हमें जानकारी मिली है कि कुछ जोड़े पहले से शादीशुदा थे. इसकी जांच की जा रही है. जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी.




