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गतका मुकाबलों में हरियाणा रहा विजेता, पंजाब दूसरे और चंडीगढ़ तीसरे स्थान पर रहा

चंडीगढ़: ताऊ देवी लाल स्टेडियम पंचकूला में हरियाणा में कल धूमधाम से समाप्त हुए पहले पीथीयन राष्ट्रीय सांस्कृतिक खेल-2024 में अन्य विरासती खेलों और मार्शल आर्ट सहित कई कलाओं में भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इंटरनेशनल काउंसिल से संबंधित पायथियन काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ बजिंदर गोयल झारखंड के पूर्व मंत्री  के नेतृत्व में भारत में पहली बार ये विरासत और कलात्मक प्रतियोगिताएं शुरू हुई है।

यह जानकारी देते हुए नेशनल गतका एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष स. हरजीत सिंह ग्रेवाल और उपाध्यक्ष सुखचैन सिंह कलसानी ने कहा कि इन विरासती खेलों में 18 वर्ष से कम आयु वर्ग में गतका खेल की औपचारिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई, जिसमें देश के 12 राज्यों से लड़के और लड़कियों की टीमों के लगभग 200 खिलाड़ियों ने भाग लिया। नेशनल गतका एसोसिएशन के महासचिव हरजिंदर कुमार और वित्त सचिव बलजीत सिंह ने बताया कि इन प्रतियोगिताओं के दौरान हरियाणा की टीम ने ओवरऑल चैंपियनशिप जीती, जबकि पंजाब दूसरे और चंडीगढ़ तीसरे स्थान पर रहा।

नतीजों की जानकारी देते हुए गतका एसोसिएशन ऑफ पंजाब के उपाध्यक्ष और टूर्नामेंट की तकनीकी टीम के प्रमुख सरबजीत सिंह लुधियाना ने बताया कि विजेता हरियाणा के खिलाड़ियों ने 5 स्वर्ण पदक, 2 रजत पदक और 1 कांस्य पदक जीता। उपविजेता पंजाब ने  खिलाड़ियों ने 2 स्वर्ण, 4 रजत और 2 कांस्य पदक जीते। तीसरे स्थान पर रही चंडीगढ़ की टीम ने 1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य पदक जीते। इसके अलावा, महाराष्ट्र ने 4 कांस्य पदक जीते जबकि झारखंड, जम्मू, दिल्ली, उत्तराखंड और तमिलनाडु ने 1-1 कांस्य पदक जीता।

पीथीयन गेम्स के बारे में बात करते हुए डॉ. बजिंदर गोयल ने कहा कि प्राचीन काल में ये खेल प्राचीन यूनान ग्रीस के चार पैनहेलनिक खेलों में से एक थे। यह खेल ओलंपिक खेलों के दो साल बाद और नेमेन और इस्थमियन खेलों के बीच हरेक चार साल बाद यूनान के डेल्फ़ी शहर में अपोलो के सम्मान में करवाया जाता था। पीथीयन खेल महत्व में ओलंपिक खेलों के बाद दूसरे स्थान पर गिना जाता था। इन खेलों में कला और नृत्य प्रतियोगिताएं भी शामिल थीं। पीथीयन खेलों की स्थापना छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी और ये 424 ईसा पूर्व तक आयोजित होते रहे।

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