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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले नहीं रुके तो लागू होगा न्यूटन का थर्ड लॉ… बीजेपी नेता की दो टूक

बांग्लादेश में लगातार सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है. तख्ता पलट के बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है. इस बीच पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने दावा किया है कि अगर हिंदुओं पर हमले बंद नहीं हुए तो बंगाल के पेट्रापोल में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन होगा. साथ ही साथ उन्होंने चेतावनी भी दी है कि न्यूटन के थर्ड लॉ की तरह एक्शन होगा.

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की प्रतिक्रिया न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार होगी, जो कहता है कि हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है. दरअसल, अभी हाल ही में बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्लामी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस व इस्कॉन पर बैन लगाने की अपील की गई थी. इसको लेकर भारत ने भी कड़ा विरोध जताया था.

बीजेपी नेता ने कहा, ‘बांग्लादेश को यह समझना चाहिए कि अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करना और उनके अधिकारों का सम्मान करना उसका कर्तव्य है. हम बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार को आगाह करना चाहते हैं कि अगर हिंदुओं पर हमले नहीं रुके तो हम पेट्रापोल सीमा पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए भारत बांग्लादेशी हिंदुओं की दुर्दशा को नजरअंदाज नहीं कर सकता.’

बांग्लादेश में 8 फीसदी हिंदू, लगातार बनाया जा रहा निशाना

बांग्लादेश की 170 मिलियन आबादी में से लगभग 8 प्रतिशत हिंदू, ऐतिहासिक रूप से शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं. पिछले महीने आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक टकराव के बाद पार्टी को विरोध का सामना करना पड़ा. 5 अगस्त के बाद कई हफ्तो तक चले प्रदर्शनों और हिंसक घटनाओं में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.

छात्रों की ओर से संचालित विद्रोह के कारण बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटा दिया गया. इसके बाद हिंसक प्रदर्शनकारियों ने हिंदुओं पर हमले किए. उनके घरों और मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया. साथ ही साथ कइयों को मौत के घाट उतार दिया. वहीं, सत्ता से बेदखल की गईं 76 वर्षीय हसीना ने 5 अगस्त को भारत में शरण ली और उसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम प्रशासन ने सत्ता संभाली.

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