हरियाणा

तिगड़ाना के सैंकड़ों ग्रामीण पहुंचे लघु सचिवालय, उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

तिगड़ाना को हांसी में शामिल करने का विरोध जताकर भिवानी जिला मे शामिल रखने की उठाई मांग

भिवानी, (ब्यूरो): भिवानी जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर स्थित तिगड़ाना गांव को हांसी जिले में शामिल किए जाने की प्रस्तावित योजना को लेकर तिगड़ाना के ग्रामीणों में खासा रोष है तथा वे इस योजना को रद्द कर गांव तिगड़ाना को हांसी की बजाए भिवानी जिला में ही शामिल रखे जाने की मांग उठा रहे है। इसी मांग को लेकर ग्रामीण उपायुक्त कार्यालय पहुंचे तथा उपायुक्त को मांगपत्र सौंपकर तिगड़ाना को भिवानी जिला में ही शामिल रखे जाने की मांग जोर-शोर से उठाई। गांव तिगड़ाना निवासी एवं भाजपा नेता परमजीत सिंह मड्डू व सरपंच सुरेंद्र कुमार ने बताया कि तिगड़ाना गांव की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान भिवानी जिले से जुड़ी हुई है, जिसे किसी भी हाल में तोडऩे नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि तिगड़ाना गांव की भौगोलिक स्थिति, जनसुविधाएं और प्रशासनिक जरूरतें भिवानी से जुड़ी हुई हैं। गांववाले रोजमर्रा के कार्यो के लिए भिवानी पर निर्भर हैं, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य सेवाएं हों या कृषि संबंधी कार्य। ऐसे में 43 किलोमीटर दूर हांसी जिले में शामिल करने से आमजन को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गांव तिगड़ाना की जनसंख्या करीबन 25 हजार तथा मतदाता करीबन 11 हजार है । आज हुए प्रदर्शन में गांव तिगड़ाना के करीब 15 सौ लोग शामिल हुए। पूर्व सरपंच नेत्रपाल, प्रदीप ढाला, राजेश प्रधान, दीपा तंवर व अमित ने कहा कि गांव से जिला मुख्यालय भिवानी की दूरी मात्र 4 किलोमीटर होने से ग्रामीणों को अपने विभिन्न कार्यो के लिए भिवानी आने के लिए कम आर्थिक खर्च वहन करने के साथ वाहन भी आसानी से मिल जाते है। इससे उनके समय व रूपये दोनों की बचत है। लेकिन यदि तिगड़ाना को हांसी जिला में शामिल कर दिया गया तो ग्रामीणों को अधिक खर्च व समय लगेगा, जिससे उनकी आर्थिक परेशानियां बढऩे के साथ-साथ रोजमर्रा के कार्य भी प्रभावित होंगे। जिसका ना कोई औचित्य नहीं बनता तथा यह तिगड़ाना के ग्रामीणों के हितों के भी विपरीत है। ऐसे में वे मांग करते है कि गांव तिगड़ाना को भिवानी जिला में रखा जाए। कप्टेन रविंद्र, बीडीसी चेयरमैन सीताराम, नरेंद्र शर्मा, जिला पार्षद कृष्ण दहिया ने चेतावनी भी दी कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए विवश होंगे तथा जरूरत पड़ी तो रोड़ जाम या अन्य राह अपनाकर अपनी बात सरकार तक पहुंचाएंगे। उपायुक्त ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों और भावनाओं को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा और उचित निर्णय लिया जाएगा।

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