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एक दिन में कितने यात्री हेलिकॉप्टर से जाते हैं केदारनाथ, कितनी देर में भरता है उड़ान, इतने हैं हेलीपैड

उत्तराखंड में पिछले डेढ़ महीने के अंदर 3 हेलिकॉप्टर हादसे हुए हैं जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई. ताजा हादसा आज रविवार को केदारनाथ के पास गौरीकुंड में हुआ. हादसे में प्राइवेट कंपनी के एक हेलिकॉप्टर जिसमें सवार 6 श्रद्धालुओं समेत 7 लोगों की मौत हो गई. इस समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु केदारनाथ की यात्रा कर रहे हैं. कठिन पहाड़ी रास्तों के मुश्किल भरे सफर से बचने के लिए लोग हवाई यात्रा को प्राथमिकता देते हैं और हेलीकॉप्टर से आते-जाते हैं. आइए, जानते हैं कि केदारनाथ यात्रा के लिए कितनी कंपनियां हेलिकॉप्टर सेवा में लगी हैं और रोजाना कितने श्रद्धालु यात्रा करते हैं.

उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (Uttarakhand Civil Aviation Development Authority) ने केदारनाथ तक हवाई सेवा संचालित करने के लिए 9 विमानन कंपनियों के साथ 3 साल का करार किया हुआ है. हेलिकॉप्टर सेवा संचालित करने वाली 9 कंपनियों में पवन हंस के अलावा, हिमालयन हेली, ट्रांस भारत, थुंबी एविएशन, एरो एविएशन, कैसल एविएशन और एयरो एयर क्राफ्ट शामिल हैं.

केदारनाथ में 3 हेलीपैड

केदारनाथ हेलिकॉप्टर के लिए टिकट बुकिंग को लेकर पहले चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. बिना रजिस्ट्रेशन के यात्री ऑनलाइन हेलिकॉप्टर टिकट बुक नहीं कर सकते. साथ ही एक बार में एक आईडी से अधिकतम 6 सीटें ही बुक कराई जा सकती हैं. जबकि ग्रुप में यात्रा करने वाले यात्री एक बार में 12 सीटें बुक कर सकते हैं. केदारनाथ यात्रा 2025 के लिए हेलिकॉप्टर बुकिंग IRCTC हेली यात्रा वेबसाइट के जरिए से ही कराया जा सकता है. साथ ही टिकट बुकिंग से पहले उत्तराखंड पर्यटन पोर्टल पर रजिस्ट्रेन कराना अनिवार्य है.

साल 2025 में केदारनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पास 3 हेलीपैड के जरिए हेलिकॉप्टर से केदारनाथ तक जाने का विकल्प है. केदारनाथ में 3 प्रमुख हेलीपैड हैं फाटा, सेरसी और गुप्तकाशी. राजधानी देहरादून से बुकिंग केवल सेरसी तक ही होती है, फिर यहां से यात्रियों को हेलिकॉप्टर बदलना पड़ता है.

फाटा से केदारनाथ जाने के लिए हेलिकॉप्टर का किराया 6,074 है तो सेरसी से केदारनाथ तक का किराया 6,072 और गुप्तकाशी से केदारनाथ तक जाने का किराया 8,426 है. ये रेट उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूसीएडीए) ने विमानन ऑपरेटरों के साथ मिलकर तय की है.

हेलीपैड से कितना दूर केदारनाथ

फाटा हेलीपैड से केदारनाथ से दूरी 31 किमी है और यहां पर यात्रा का समय 9 मिनट का है और इसके लिए एक तरफ का किराया 2,500 रुपया है. इसके नजदीक में गुप्तकाशी (14 किमी) और सोनप्रयाग (16 किमी) है. इसी तरह सेरसी हेलीपैड से केदारनाथ से दूरी 23 किमी है. इसके बीच यात्रा का समय 11 मिनट है. यहां का एक तरफ का किराया भी 2,500 रुपये है. इसके नजदीक में गुप्तकाशी (20 किमी) और सोनप्रयाग (9 किमी) है.

इसी तरह गुप्तकाशी हेलीपैड की केदारनाथ से दूरी 45 किमी है. यहां पर यात्रा समय 15 मिनट लगता है. एक तरफ का किराया 3,800 रुपया है. यहां पर लग्जरी हेलिकॉप्टर पैकेज की भी व्यवस्था है. इस साल की केदारनाथ यात्रा के लिए लग्जरी हेलिकॉप्टर पैकेज एक लाख रुपये से शुरू होकर 2.5 लाख रुपये तक जा सकते हैं. इन प्रीमियम पैकेज में दोनों तरफ की उड़ानें, प्राथमिकता से दर्शन, व्यक्तिगत सहायता, खाने के साथ-साथ आरामदायक तीर्थयात्रा और रात भर ठहरने की सुविधा भी शामिल होती है.

रोजाना 1500 यात्रा करते हैं हवाई सफर

केदारनाथ के लिए रोजाना औसतन 1500 यात्री हेलिकॉप्टर सेवा का लाभ लेते हैं. 3 हेलीपैड से 9 कंपनियों की ओर से रोजाना 250 हेलिकॉप्टर फ्लाइट उड़ान भरती हैं. वेबसाइट टीओआई के अनुसार, अगर मौसम सही रहा तो सोनप्रयाग से 16 किलोमीटर की केदारनाथ यात्रा के लिए रोजाना 20 से 30 हेलिकॉप्टर उड़ान भरती है. एक उड़ान में 5 से 6 यात्री बैठ सकते हैं. रोजाना ऑनलाइन के जरिए 150 लोगों की बुकिंग होती है. यात्रा से सफर से पहले यात्रियों को सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जाती है. अगर मौसम सही रहता है तो उड़ान भरी जाती है वरना इसे कैंसल कर दिया जाता है.

4 पवित्र स्थलों में एक केदारनाथ

देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में बड़ी संख्या में मंदिर हैं और हमेशा धार्मिक पर्यटन होता रहता है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने इष्टदेव की आराधना के लिए आते हैं. इसी पहाड़ी राज्य में सबसे प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक चार धाम यात्रा भी होती है, जो चार पवित्र स्थलों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा है.

गर्मियों के समय (अप्रैल या मई) ऊंचाई पर स्थित इन मंदिरों के कपाट में खुलते हैं और फिर सर्दियों (अक्टूबर या नवंबर) की शुरुआत में बंद कर दिए जाते हैं. इन तीर्थस्थलों पर हवाई मार्ग (हेलिकॉप्टर सेवाएं) के जरिए यात्रा काफी सुगम मानी जाती है. इस यात्रा में शारीरिक रूप में थकान भी ज्यादा नहीं होती और समय भी कम लगता है.

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