न्यूज़ डेस्क उत्तरप्रदेश। प्रयागराज। संवाददाता। Allahabad High Court इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशन live in relation में शादीशुदा मुस्लिम महिला के रहने को हराम करार देते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट का कहना है कि मुस्लिम लॉ muslim personal law के मुताबिक मुस्लिम महिला का किसी के साथ लिव इन live in में रहना इस्लाम में हराम बताया गया है।
शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court के ओर से दिए गए एक बड़े फैसले में न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की पीठ ने एक विवाहित मुस्लिम महिला और उसके हिंदू लिव इन पार्टनर live in relation द्वारा अपने पिता और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ अपनी जान को खतरा होने की आशंका की बाबत याचिका दायर करते हुए न्यायालय से गुहार लगाई थी। न्यायालय ने कहा है कि महिला के आपराधिक कृत्य को न्यायालय द्वारा समर्थन और संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
अदालत का कहना है कि मुस्लिम कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए याचिका करता नंबर दो के साथ रह रही है। जिसमें कानूनी रूप से विवाहित पत्नी बाहर जाकर शादी नहीं कर सकती है और मुस्लिम महिलाओं के इस कृत्य को जीना और हराम के रूप में परिभाषित किया गया है।