हरियाणा

धान उठाने में ठेकेदारों की ढिलाई पर अब मिलर्स करेंगे काम, भुगतान हरियाणा सरकार करेगी

चंडीगढ़: राज्य सरकार ने धान खरीद की मिलिंग नौति 2025-26 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत मंदि ठेकेदार समय पर धान का उठान नहीं करता तो राइस मिलर्स धान उठवा सकेंगे। इसमें जी भी खर्च होगा, सरकार भुगतान करेगी। यह कदम धान की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए उठाया गया है। हालांकि कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की कीमतें अभी तक तय नहीं की गई हैं। राज्य सरकार का कहना है कि सीएमआर की कीमतें भारत सरकार से प्राप्त नहीं हुई हैं। भारत सरकार से प्राप्त होने पर इसे संबंधितों को प्रसारित किया जाएगा। धान खरीद की नीति जारी नहीं होने से राइस मिलर्स रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहे थे। राइस मिलर्स एसोसिएशन ने धान खरीद की पॉलिसी जारी करने की मांग की थी।

पॉलिसी के मुताबिक धान की खरीद एक अक्तूबर से 15 नवंबर 2025 तक होगी। हालांकि राज्य सरकार ने एक अक्तूबर से पहले खरीद की अनुमति केंद्र सरकार से मांगी हुई है। बताया जा रहा है कि 22 या 23 सितंबर से धान की खरीद शुरू की जा सकती है। नीति में उल्लेख किया गया है कि कृषि विभाग के पूर्व अनुमानों के अनुसार हरियाणा की मंडियों और खरीद केंद्रों में लगभग 84 लाख मीट्रिक टन धान की आवक होगी। खरीद एजेंसियों की खरीद में हिस्सेदारी लगभग 54 लाख मीट्रिक टन होगी। खरीफ विपणन सत्र 2025-26 के दौरान खरीद एजेंसियां केंद्रीय पूल में लगभग 36 लाख मीट्रिक टन कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) का योगदान देंगी।

भारत सरकार ने धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी तप कर दिया है। इसके मुताचिक सामान्य धान 2369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड ए का भान 2389 रुपये प्रति मुताबिक टूटा चावल ग्रेड ए व सामान्य में अधिकतम 25 फीसदी होगा। राज्य में क्रियाशील चावल मिलों की संख्या 1445 है। सीएमआर कार्य करने के लिए प्रत्येक चावल मिलर को संबंधित जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा ताकि वे ई-खरीद पोर्टल पर एजेंसियों के धान की कस्टम मिलिंग के लिए पात्र हो सकें। रजिस्ट्रेशन के लिए प्रत्येक चावल मिलर को प्रति मिल 3,000 रुपये का पंजीकरण शुल्क देना होगा। यह पंजीकरण एक साल के होगा।

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