राजनीति

न डरे, न भागे…बदमाशों से अकेले लड़े; गजब के दिलेर थे सौरभ देशवाल, गाजियाबाद गोलीकांड में शहीद सिपाही की कहानी

समय रात के साढ़े 10 बजे, स्थान गाजियाबाद का नाहल गांव. यहां नोएडा पुलिस की एक टीम हिस्ट्रीशीटर बदमाश कादिर को पकड़ने के लिए पहुंची थी और पकड़ भी लिया था. पुलिस टीम उसे लेकर वापस लौट ही रही थी कि पंचायत भवन के पीछे छिपे बदमाशों ने पुलिस पार्टी पर पथराव कर दिया. ऐसे में सभी पुलिसकर्मी अपने बचाव के लिए इधर-उधर भागने लगे. हालांकि, इस टीम में शामिल कांस्टेबल सौरभ देशवाल ने अकेले ही बदमाशों के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया. वह दर्जन भर बदमाशों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे, लेकिन इतने में बदमाशों ने फायरिंग कर दी और एक गोली सौरभ के सिर में लगी.

गोली लगते ही सौरभ देशवाल जमीन पर गिर पड़े. इसके बाद बदमाश तो मौके से फरार हो गए, वहीं दबिश टीम में शामिल पुलिसकर्मियों ने सौरभ को गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. इस घटना की खबर से नोएडा और गाजियाबाद पुलिस में हड़कंप मच गया. आनन फानन में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने बदमाशों की गिरफ्तारी में डीसीपी ग्रामीण की निगरानी में टीम गठित कर दी. इस टीम ने सुबह होते होते ही बदमाश कादिर का एनकाउंटर करते हुए एक बार फिर से दबोच लिया है.

नौ साल पहले हुए भर्ती

मूल रूप से शामली के बधेव का रहने वाला सौरभ देशवाल बचपन से ही पुलिस फोर्स में जाना चाहता था. इसके लिए वह काफी समय से प्रयास कर रहा था. आखिर में साल 2016 में उसकी नौकरी पुलिस में लग गई. अभी डेढ़ साल पहले ही उसका ट्रांसफर नोएडा पुलिस के फेज तीन थाने में हुआ था. उसके साथियों के मुताबिक सौरभ बेहद दिलेर सिपाही था. यही वजह है कि उसकी पोस्टिंग हमेशा स्पेशल स्टॉफ में रही. उसने अपने नौ साल के ही करियर में दर्जनों बदमाशों को अपने दम पर पकड़ कर जेल भिजवाया है.

पत्नी से की आखिरी बातचीत

सौरभ देशवाल की टीम को वांछित हिस्ट्रीशीटर कादिर के बारे में पुख्ता सूचना मिल चुकी थी. ऐसे में पुलिस टीम रवाना होने वाली थी. निकलने से ठीक पहले सौरभ ने अपनी पत्नी को फोन किया और खाने पीने को लेकर बातचीत की. फिर कहा कि उसे ड्यूटी पर निकलना है. अब सौरभ की मौत की खबर सुनकर उसकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. वह बार-बार यही कह रही है कि उसे क्या पता कि यह उसकी आखिरी बातचीत थी.

सादी वर्दी में गई थी पुलिस

नोएडा पुलिस को मुखबिर से पुखता जानकारी मिली थी कि हिस्ट्रीशीटर कादिर अपने घर में मौजूद है. पुलिस को यह भी सूचना थी कि उसके आठ-दस साथी भी गांव में ही हैं. इसके बावजूद नोएडा पुलिस की टीम उसे पकड़ने के लिए सादी वर्दी में पहुंच गई. यही नहीं, नोएडा पुलिस ने इस कार्रवाई की जानकारी भी गाजियाबाद पुलिस को नहीं दी. बल्कि गाजियाबाद पुलिस को तो घटना की खबर ही करीब 45 मिनट बाद मिली, तबतक सौरभ को अस्पताल पहुंचा दिया गया था.

बीहड़ से कम नहीं घटना स्थल

जानकारी के मुताबिक नोएडा पुलिस और बदमाशों के मुकाबले का स्थान यानी गाजियाबाद का नाहल गांव चंबल के बीहड़ से कम नहीं है. गंग नहर के किनारे बसे इस गांव में जाने के लिए आज भी पक्की सड़क नहीं है. नहर की पटरी पर ही टूटी-फूटी सड़क से होकर जाना पड़ता है. आलम यह है कि इस सड़क पर गाड़ी 15-20 किमी से अधिक रफ्तार में चल ही नहीं सकती. इसका फायदा भी नाहल और आसपास के गांव में रह रहे अपराधी खूब उठाते हैं. वहीं इस रास्ते की वजह से पुलिस अक्सर फंस कर रह जाती है. खासतौर पर बाहर की पुलिस यहां कई बार पिट चुकी है.

Related Articles

Back to top button