नगर निगम के खिलाफ सड़कों पर रैग पिकर्स, नगर निगम अधिकारियों व ठेकेदार पर वसूली करने का लगाया आरोप
गुड़गांव: नगर निगम की हर घर से कूड़ा उठाने की योजना इन दिनों फ्लॉप हो रही है, लेकिन रैग पिकर्स द्वारा घरों से कूड़ा उठाकर न केवल उसे अलग-अलग किया जा रहा है बल्कि अपनी आजीविका कमाकर परिवार को भी पाल रहे हैं। इन रैग पिकर्स द्वारा नगर निगम के ठेकेदारों पर अवैध वसूली करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि यह रकम न देने पर उनकी रेहड़ियों को भी तोड़ा जा रहा है। इन रैग पिकर्स ने आरोप लगाया कि इस कार्य में नगर निगम के अधिकारी भी साथ दे रहे हैं। इन ठेकेदारों की मनमानी से तंग आकर आज वह नगर निगम कार्यालय पहुंचे और प्रदर्शन करने के साथ ही अपनी मांगों का ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपा है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी सुनवाई नहीं होती है तो वह अधिकारियों और प्रदेश सरकार के खिलाफ अपने परिवार सहित सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे।
दरअसल, नगर निगम द्वारा घर-घर से कूड़ा उठाने का कार्य कर रही इकोग्रीन कंपनी का टेंडर समाप्त कर दिया। इसके बाद से जिस कंपनी को यह काम दिया है वह कंपनी घरों से कूड़ा उठाने में असमर्थ है। 10 से 15 दिन में एक बार कूड़े की गाड़ी आने से परेशान होकर कुछ कॉलोनियों में लोगों ने प्राइवेट तौर पर कूड़ा उठाने वालों को लगा दिया ताकि उनके घर से रोजाना कूड़ा उठ सके। गौरव, निंबू, गीता, जमना सहित अन्य का आरोप है कि यह बात नगर निगम से कूड़े का ठेका लेने वाली कंपनी के ठेकेदार को नागवार गुजरी और उसने इन कूड़ा उठाने वालों को क्षेत्र से भगाने और अपना एकछत्र राज जमाने के लिए इनसे मंथली 10 से 25 हजार रुपए दिए जाने की मांग की। आरोप है कि रुपए न देने वालों की ठेकेदार द्वारा रेहड़ियों को जेसीबी की मदद से तुड़वा भी दिया गया। पीड़ितों का कहना है कि वह गुड़गांव में करीब 25 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जब नगर निगम द्वारा घर-घर से कूड़ा उठाने की योजना भी नहीं बनाई गई थी तब से वह घरों से कूड़ा उठा रहे हैं और इसकी ऐवज में उन्हें प्रत्येक मकान से 30 से 50 रुपए मिलते हैं जो उनके परिवार की आजीविका का एक साधन है। इससे नगर निगम की भी मदद होती है और शहर भी साफ रहता है, लेकिन जब से यह नई कंपनी ने ठेका लिया है तो वह उनसे काम करने की ऐवज में रुपए मांग रहा है।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने आरोप लगाया कि जब वह अपनी इन मांगों को लेकर नगर निगम के स्वच्छ भारत मिशन जॉइंट कमिश्नर से मुलाकात की तो उन्होंने ठेकेदार का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्हें ठेकेदार द्वारा मांगे गए यह रुपए देने ही पड़ेंगे। ऐसे में उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां चीफ सैक्रेटरी सहित अर्बन लोकल बॉडी के आला अधिकारियों द्वारा इन रैग पिकर्स को सुविधाएं देने व इन्हें व्हीकल उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम को गारंटी दिए जाने की बात कही थी। वहीं, अब अधिकारी इन लोगों की सहायता करने की बजाय उल्टा ठेकेदार का साथ देकर उनसे वसूली कराने में तुले हुए हैं।
फिल्हाल इन रैग पिकर्स ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी सुनवाई न हुई तो वह अपने आंदोलन को बड़ा रुप दे देंगे। जिसके बाद वह न केवल नगर निगम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे बल्कि अपने परिवार के सदस्यों के साथ सड़कों पर उतरने से भी पीछे नहीं हटेंगे। वहीं, मामले में नगर निगम अधिकारियों ने अपना कोई पक्ष नहीं रखा है और न ही ठेकेदार द्वारा अपना पक्ष दिया गया।