देव दीपावली पर धरती पर आएंगे देवी-देवता, गंगा घाटों पर दीप जलाने का रहेगा विशेष महत्व, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

करनाल: सनातन धर्म में दीपावली का त्योहार सबसे विशेष त्यौहार होता है. तो इस दीपावली के 15 दिन बाद देव दीपावली होती है, जो देवताओं की दीपावली होती है. सनातन धर्म में इस दिन भी विधिवत रूप से देव दीपावली मनाई जाती है. घर में दीपक जलाए जाते हैं और सुख समृद्धि की कामना भगवान महादेव और विष्णु भगवान से की जाती है. इस दिन गंगा नदी के घाटों पर दीप जलाना काफी शुभ माना जाता है. मान्यता है कि सभी देवता इस दिन पृथ्वी लोक पर आते हैं.
कब है देव दीपावली: पंडित शशि पाल शर्मा ने बताया कि “देव दीपावली हमारे लिए काफी शुभ होती है. इसको देवताओं की दीपावली कहा जाता है, जो कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. यह दिवाली से 15 दिन बाद आती है. इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की पूर्णिमा 4 नवंबर को रात के 10:36 पर शुरू होगी. इसका समापन 5 नवंबर को शाम के 6:48 पर होगा”.
पूजा का शुभ मुहूर्त: पंडित के अनुसार, “कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली होती है. इसलिए पूर्णिमा 5 नवंबर को मनाई जाएगी और इस दिन ही देव दीपावली उत्सव मनाया जाएगा. दीपावली की तरह देव दीपावली पर भी प्रदोष काल में पूजा करने का विधि विधान होता है. इसलिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल का समय 5 नवंबर को शाम के 5:15 से शुरू होकर शाम के 7:50 तक रहेगा”.
पूजा का विधि विधान: पंडित ने बताया कि “देव दीपावली के दिन दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विधि विधान होता है. इस दिन सुबह स्नान करें, हो सके तो पवित्र नदी में गंगा जी में जाकर स्नान करें. उसके बाद अपने घर और मंदिर की साफ सफाई करके उसमें भगवान विष्णु महादेव और माता लक्ष्मी की पूजा मूर्ति की स्थापना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक लगाएं”.
दीपक जलाने का है खास महत्व: उन्होंने बताया कि “पूजा के दौरान भगवान को मिठाई फल-फूल आदि अर्पित करें. देव दीपावली पर भगवान विष्णु को केले का भोग लगाना काफी अच्छा माना जाता है. पूजा के दौरान आरती करें और सुख समृद्धि की कामना करें. शाम के समय अपने घर पर दीपावली की तरह दीपक जलाएं और माता लक्ष्मी के आगमन का आह्वान करें. इस दिन गंगा जमुना एक दूसरी नदियों पर दीपक जलाना काफी अच्छा माना जाता है”.
“जहां पर उन्होंने कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन गंगा जी में स्नान किया और उसके उपरांत गंगा के तटों पर दीपक जलाए थे और दीपदान भी किया था. सभी देवी देवताओं ने खुशी मनाई थी. तब से ही यह देव दीपावली मनाती आ रही है. विशेष तौर पर महादेव की नगरी काशी में गंगा के घाटों पर दीप जलाकर सुख समृद्धि की कामना की जाती है. वहां पर यह देव दीपावली त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है”.




