राष्ट्रीय न्यूज़ डेस्क । नई दिल्ली । संवाददाता । सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले की कड़ी आलोचना की, जिसमें यह टिप्पणी की गई थी कि ‘किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं sex desire पर नियंत्रण रखना चाहिए और दो मिनट के सुख के लिए उसे खुद को समर्पित नहीं करना चाहिए।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘न केवल हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियां ‘समस्याग्रस्त’ है बल्कि फैसले में लागू कानूनी सिद्धांत भी सवालों के घेरे में है।’
जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइंया की पीठ हाईकोर्ट के फैसले पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जस्टिस ओका ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि निचली अदालत द्वारा आरोपी को दोषी ठहराने के फैसले को हाईकोर्ट द्वारा पलट दिए जाने के आधार संदिग्ध प्रतीत होते हैं, हालांकि उन्होंने कहा कि यह मुद्दा उसके समक्ष नहीं है।
दूसरी ओर मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने पीठ को बताया कि उसने हाईकोर्ट के 18 अक्टूबर, 2023 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दाखिल की है। सरकार की ओर से अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने पीठ से कहा कि सरकार की ओर से दाखिल अपील अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई है।
पीठ ने कहा कि स्वत: संज्ञान वाली रिट याचिका और राज्य सरकार द्वारा दायर अपील की सुनवाई साथ में की जाएगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई निष्कर्षों को अदालत के रिकार्ड में रखा गया है, ये अवधारणाएं कहां से आई है, हम नहीं जानते। लेकिन हम इससे निपटना चाहते हैं। हमें आपकी सहायता की जरूरत है।