महाराष्ट्र के नागपुर से शुरू होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं अब भारत के 99 प्रतिशत जिलों में फैल चुकी हैं. आरएसएस के मुताबिक इस साल मार्च तक संघ की 73 हजार शाखाएं चल रही थीं. संगठन ने अगले साल तक इसे 1 लाख के पार पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. लक्ष्य को पूरा करने के लिए रांची के नामकुम में आरएसएस के प्रांत-प्रचारकों की बैठक बुलाई गई है.
साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद संघ के विस्तार में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. पिछले 10 सालों में संघ की शाखाओं की संख्या करीब दोगुनी हो गई है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब संघ इतनी तेजी से बढ़ा है. इससे पहले अटल बिहारी सरकार के वक्त भी संघ का ग्राफ तेजी से बढ़ा था.
1998 में लगती थीं 30 हजार शाखाएं
साल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी. उस वक्त संघ की करीब 30 हजार शाखाएं पूरे देश में चलती थीं. आरएसएस की यह शाखाएं सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगाई जा रही थीं.
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार केंद्र में पूरे 6 साल तक रही. साल 2004 में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद संघ ने शाखाओं को लेकर ब्योरा दिया था. इसके मुताबिक 1998 से 2004 तक संघ की शाखाओं की संख्या में 9 हजार की बढ़ोतरी हुई थी.
2004 में संघ की करीब 39 हजार शाखाएं पूरे देश में लगती थीं. संघ ने उस वक्त दावा किया था कि अगले 5 साल में इन शाखाओं की संख्या 50 हजार को क्रॉस कर जाएगी.
सरकार गई तो संख्या में कमी आई
साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार चली गई. इसके बाद 10 साल तक बीजेपी सत्ता से बाहर रही. 2013 में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के बाद संघ ने शाखाओं को लेकर एक जानकारी दी.
इस जानकारी के मुताबिक 2013 में देश के 28788 स्थानों पर आरएसएस की 42981 शाखाएं चलाई जा रही थीं. वहीं संघ में इस वक्त तक 9597 जगहों पर सप्ताहिक बैठकें होती थीं.
कुल संख्या काे अगर जोड़ देखा जाए तो 2004 से 2013 तक संघ की शाखाओं में सिर्फ 3 हजार की बढ़ोतरी हुई. संघ ने जो 50 हजार का लक्ष्य रखा था, वो इन 10 सालों में पूर्ण नहीं हो पाया था.
मोदी सरकार में कितना हुआ संघ का विस्तार?
संघ की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2019 में संघ की देशभर में कुल 59 हजार शाखाएं चलती थी. इस दौरान संघ के कार्यकर्ता 17229 जगहों पर सप्ताहिक बैठकें आयोजित करते थे.
2013 की तुलना में इस संख्या में 17 हजार की बढ़ोतरी हुई थी. साल 2023 में आरएसएस की 42,613 स्थानों पर 68,651 दैनिक शाखाएं चल रही थीं. 2024 में इसमें भी बढ़ोतरी हुई है.
संघ के मुताबिक इस साल के मार्च तक पूरे देश में 73 हजार शाखाएं चल रही थीं. संघ का कहना है कि इस संख्या को अगले साल 1 लाख के पार पहुंचाने का लक्ष्य है.
संघ के मुताबिक वर्तमान में संगठन की पहुंच देश के 901 जिलों हो गई है. संघ की सप्ताहिक बैठकें अब दक्षिण से लेकर उत्तर तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक हो रही है.
संघ के विस्तार में शाखा का रोल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुताबिक शाखा एक पूर्वनिर्धारित बैठक स्थल या मैदान पर एक घंटे के लिए विभिन्न आयु समूहों के स्वयंसेवकों का दैनिक जमावड़ा है. शाखा की बैठक में संघ के स्वयंसेवक दैनिक नियमित कार्यक्रमों के साथ-साथ देश-विदेश के मुद्दों पर चर्चा करते हैं.
संघ के तीसरे सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने शाखा को परिभाषित करते हुए कहा था- संघ की शाखा केवल परेड का स्थान नहीं है, यह युवाओं को अवांछनीय व्यसनों से दूर रखने का एक सांस्कृतिक मंच है.
देवरस ने संघ की शाखा को विश्वविद्यालय की भी उपाधि दी थी. उनके मुताबिक यह राष्ट्र के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का एक विश्वविद्यालय है.
संघ की शाखा को विस्तार का सबसे बड़ा माध्यम माना जाता है. इसकी वजह सक्रियता है. संघ का मानना है कि जो सदस्य सक्रिय रहेगा, वो शाखा जरूर आएगा.