हरियाणा

पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की विपक्ष को नसीहत, सभी दलों को मिलकर BJP प्रत्याशी के खिलाफ उम्मीदवार चुनाव में उतारना चाहिए

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा में होने वाले राज्यसभा के उपचुनाव को लेकर विपक्षी दलों को बड़ी नसीहत दी है। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि राज्यसभा उपचुनाव के लिए सभी दलों को मिलकर बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ अपना एक...

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा में होने वाले राज्यसभा के उपचुनाव को लेकर विपक्षी दलों को बड़ी नसीहत दी है। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि राज्यसभा उपचुनाव के लिए सभी दलों को मिलकर बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ अपना एक उम्मीदवार चुनाव में उतारना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि इस लोकसभा चुनाव और उससे पहले भी हरियाणा में ये हालात बन चुके है, जिसके चलते बीजेपी सरकार अपना बहुमत खो चुकी है। इसलिए विपक्ष कोलकर इसका फायदा उठाना चाहिए।

कई निर्दलीय और कुछ अन्य दलों के विधायक आज बीजेपी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं बीजेपी के भी कई विधायक उसकी आर्थिक नीति और हरियाणा के संदर्भ में किसानों, युवाओं के प्रति पार्टी की सोच से नाराज है। इसलिए सभी को मिलकर एक प्रत्याशी खड़ा करना चाहिए, क्योकि इस उपचुनाव में बीजेपी की हार का मतलब होगा कि हरियाणा में जो कुछ भी उनके पास बचा है, उसे भी वह गंवा देंगे। मौजूदा हालात में ये जरूरी भी है। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी के 10 साल के शासन में जन साधारण ने कभी भी उनकी नीतितयों का समर्थन नहीं किया।

दीपेंद्र के इस्तीफे से खाली हुई सीट
हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट दीपेंद्र हुड्डा के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के सांसद थे, लेकिन रोहतक से लोकसभा सांसद का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राज्यसभा से अपना इस्तीफा दे दिया है, चूंकि दीपेंद्र हुड्डा 10 अप्रैल 2020 को राज्यसभा के लिए चुने गए थे। ऐसे में 9 अप्रैल 2026 तक उनका कार्यकाल था, जिसके पूरा होने से पहले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। मौजूदा हालात पर नजर डाले तो हरियाणा से फिलहाल बीजेपी की ओर से तीन राज्यसभा सांसद है, जिनमें सुभाष बराला, कृष्णलाल पंवार, रामचंद्र जांगडा शामिल है।

इसके अलावा कार्तिकेय शर्मा ने भले ही आजाद प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें बीजेपी का समर्थन था। यानि फिलहाल हरियाणा से मौजूदा चारों राज्यसभा सांसद बीजेपी से ही संबंधित है। ऐसे में देखना होगा कि दीपेंद्र के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा सीट पर क्या खेला होता है ?

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