जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM उमर अब्दुल्ला बोले—देखते हैं, बिहार में SIR से क्या फायदा होता है?

चुनाव आयोग आज र शाम को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा, जिसमें पूरे देश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की घोषणा की जाएगी. बीजेपी लगातार पूरे देश में SIR लागू करने की वकालत कर रही है. वहीं विपक्ष इसको लेकर सवाल खड़े कर रहा है. इस बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान सामने आया है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंसे के दौरान सीएम उमर अब्दुल्ला का कहना है कि बिहार में SIR के कार्यान्वयन को लेकर पहले से ही आशंकाएं और संदेह हैं. ऐसा में देखना होगा कि सूबे में इसके लागू होने से क्या फायदा होता है. इसके बाद ही उन्हें (बीजेपी) इसे पूरे देश में लागू करने की वकालत करनी चाहिए.
‘चुनाव आयोग को इंतज़ार करना चाहिए’
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इंतज़ार करना चाहिए, नहीं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि चुनाव आयोग ने एक खास राजनीतिक दल के दबाव में अपनी स्वतंत्र प्रकृति खो दी है. सीएम ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के नाम पर ऐसी प्रथा पहले ही देख चुके हैं जो लोगों को नहीं, बल्कि एक खास राजनीतिक दल को लाभ पहुंचाने के लिए की गई थी.
‘एक खास राजनीतिक दल को लाभ पहुंचाना मकसद’
सीएम उमर ने कहा कि जिस तरह से क्षेत्रों को जोड़ा और अलग किया गया, जिस तरह से नई सीटें बनाई गईं, उसका स्पष्ट उद्देश्य एक खास राजनीतिक दल और उसके समर्थकों को लाभ पहुंचाना था. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि बीजेपी ने केंद्र में मुसलमानों को सरकार से दूर रखा, उनकी 15% आबादी की उपेक्षा की, उनके पास एक भी लोकसभा या राज्यसभा सदस्य नहीं है.
देशभर में वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत
दरअसल चुनाव आयोग अब देशभर में वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत करने जा रहा है. आयोग इस बारे में आज (सोमवार, 27 अक्टूबर) शाम को ऐलान कर सकता है. पिछले महीने ही बिहार में SIR की प्रक्रिया पूरी हुई थी. वहीं अब इसे देश के अन्य हिस्से में शुरू कराए जाने की योजना है. हालांकि विपक्षी दलों ने चुनाव से ठीक पहले बिहार में SIRकराने की आलोचना की थी, मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था.
खबर है कि अगली SIR की प्रक्रिया उन राज्यों में शुरू की जाएगी जहां कुछ महीनों के बाद चुनाव होना है. माना जा रहा है कि इस बार SIR की प्रक्रिया 2 चरणों में कराई जा सकती है. पहले चरण के तहत 10 से 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा, इसमें उन राज्यों को भी रखा जाएगा जहां अगले साल 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. अगले साल देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, और ये राज्य हैं असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुड्डचेरी (केंद्र शासित प्रदेश). साथ ही दूसरे चरण के तहत उन राज्यों को शामिल किए जाने की संभावना है जहां पर स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं.




