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विदेशी मीडिया ने PM मोदी के शपथ ग्रहण पर दी तल्ख प्रतिक्रिया, पढ़ें हैरानीजनक टिप्पणियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम को लगातार तीसरे कार्यकाल की शपथ ली। हालांकि अभी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होना बाकी है...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम को लगातार तीसरे कार्यकाल की शपथ ली। हालांकि अभी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होना बाकी है लेकिन उनके साथ ही 72 मंत्रियों ने भी मंत्रीपद की शपथ ली।  2024 के आम चुनाव में भाजपा को  एनडीए की सहयोगी पार्टियों के समर्थन की जरूरत पड़ी ऐसे में PM मोदी के तीसरे कार्यकाल पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं । PM  मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद ने पद और गोपनीयता की शपथ ली जिस पर दुनियाभर के मीडिया संस्थानों ने इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी।  जानते हैं  शपथ ग्रहण पर किस  मीडिया हाऊस क्या कहा …

BBC ने विपक्ष बारे चेताया
ब्रिटिश मीडिया संस्थान (BBC) ने लिखा कि मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया है, लेकिन आम चुनाव में विपक्ष का उत्थान देखा गया है। सत्ताधारी गठबंधन ने एग्जिट पोल्स में बताए गए आंकड़ों को तो नहीं छुआ, लेकिन सरकार बनाने में सफल रहे। BBC  ने लिखा कि मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया है, लेकिन आम चुनाव में विपक्ष का विपक्ष की मजबूती मोदी सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती है।

ब्लूमबर्ग ने  शपथ ग्रहण की भव्यता पर किया फोकस 
ब्लूमबर्ग ने प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में विदेशी मेहमानों के आगमन और 8000 लोगों की मौजूदगी में शपथ लेने का जिक्र किया है। ब्लूमबर्ग ने शपथ ग्रहण की भव्यता और इसमें फिल्म स्टार और उद्योग जगत के लोगों को आमंत्रित करने के बारे में भी लिखा। लेख में ये भी लिखा गया है कि यह पहली बार है, जब प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता में रहने के लिए सहयोगियों के समर्थन की जरूरत है।

द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा-हवा बदली
अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि   नई सरकार ने शपथ तो ली लेकिन नई दिल्ली की राजनीतिक हवा बदली हुई दिखी। बहुमत नहीं मिलने के चलते पीएम मोदी ने सहयोगी दलों का रुख किया है और अब सहयोगी दल सरकार का हिस्सा हैं। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा है कि मोदी पहले से विनम्र दिख रहे हैं। “मोदी के अंदर परिवर्तन दिखने लगा है. कम से कम से इस समय तक जो मसीहाई छवि उन्होंने इख्तियार कर ली थी वह गायब हो गई है।” “उन्होंने खुद को एक विनम्र प्रशासक के तौर पर पेश किया है. वोटर शायद ऐसे ही मोदी को देखना चाहते थे।” “लेकिन सवाल ये है कि क्या मोदी वो बन पाएंगे जो वो निर्वाचित नेता के तौर पर दो दशक के अपने जीवन में नहीं रहे हैं. क्या वो आम सहमति से काम करने की शैली विकसित कर पाएंगे।”

FT ने कहा- सहयोगियों पर निर्भरता मोदी की कड़ी परीक्षा

ब्रिटेन का अख़बार फाइनैंशियल टाइम्स (FT) लिखता है कि नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है लेकिन पहले की तुलना में चुनाव में कमजोर प्रदर्शन की वजह से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में गठबंधन के सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा NDA के सहयोगियों पर निर्भरता पिछले एक दशक से शासन कर रहे नरेंद्र मोदी को करारा झटका  दे सकती है लिहाज़ा अब उनके सुर नरम हो गए हैं और उन्होंने आम सहमति से शासन चलाने की बात की है।” लंदन में थिंक टैंक चैटहम हाउस में सीनियर रिसर्च फ़ैलो चितगी बनर्जी ने  कहा, ”मोदी को आम सहमति से शासन करने का अनुभव नहीं है  इससे मोदी सरकार के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।

कुवैती मीडिया ने चुनौतियों पर लिखा 
कुवैती मीडिया संस्थान अल जजीरा ने लिखा  कि मोदी सरकार को बहुमत की कमी कारण  चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा। अल जजीरा ने NDA के सहयोगियों चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार से मिलने वाली चुनौतियों बारे लिखा कि सरकार को सभी सहयोगियों को साधकर चलना होगा।

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