बिहार

पहले असमंजस, फिर सहमति — तेजस्वी को CM फेस मानना कांग्रेस के लिए जरूरत या मजबूरी?

तेजस्वी यादव महागठबंधन के सीएम फेस होंगे. इसका ऐलान आज कांग्रेस नेता अशोक गहलोत की ओर से किया गया. लंबी खींचतान के बाद आखिरकार तेजस्वी यादव को कांग्रेस ने सीएम फेस मान ही लिया.

तेजस्वी यादव को बिहार में मुख्यमंत्री पद का चेहरा मानना कांग्रेस के लिए जरूरी भी है और मजबूरी भी. राजद बिहार में सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी है, उनके पास कार्यकर्ता ज्यादा हैं और फिलहाल कांग्रेस के पास बिहार में कोई और चेहरा भी नहीं हैं. तेजस्वी यादव को चेहरा बनाने से महागठबंधन को चुनावी लाभ भी मिलेगा.

पहले ‘ना-नुकुर’, फिर कांग्रेस हुई राजी

तेजस्वी यादव की बिहार के युवाओं के बीच लोकप्रियता को भी भुनाया जा सकता है. कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा मानने से ना नूकुर किया और महागठबंधन में दरार पड़ गई. गठबंधन टूटने तक की नौबत आ गई. यह कांग्रेस की सेहत के लिए ठीक नहीं था. कांग्रेस की हैसियत फिलहाल बिहार में अकेले लड़ने की नहीं है, कांग्रेस यह जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है.

कांग्रेस ने भारी मन से लिया फैसला!

कुल मिलकर कांग्रेस के सामने तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. कांग्रेस ने भले ही यह फैसला अंतिम समय में, भारी मन से लिया है ,लेकिन बिहार में कांग्रेस की जो जमीनी हकीकत है उसमें तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार करना ही एकमात्र विकल्प है.

टिकट बंटवारे के साथ ही अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस के लिए बिहार की राजनीति में अपनी जगह बनाए रखने के लिए तेजस्वी के नाम का ऐलान करना जरूरी और मजबूरी दोनों है. दरअसल, तेजस्वी यादव लंबे समय से खुद को महागठबंधन का सीएम फेस बता रहे थे. मगर कांग्रेस तेजस्वी की इस बात पर खासा ध्यान नहीं दे रही थी. राहुल गांधी से भी इसको लेकर कई बार पूछा गया लेकिन हर बार वो इसको टालते रहे.

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