पहले बाबूलाल को पीटा, फिर भाभी-भाई, मां और दादी को…बांधकर जिंदा जलाया; वो चश्मदीद जिसने देखा पूर्णिया कांड

बिहार के पूर्णिया के टेटगामा गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या ने हिला कर रख दिया है. पुलिस ने इस मामले में 23 नामजद और 150 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है. दो लोगों की गिरफ्तारी की भी खबर है. मृतकों में बाबूलाल उरांव (पति), सीता देवी (पत्नी), मो कातो (मां), रानी देवी (बहू) और मनजीत (बेटा) शामिल हैं. जिस समय भीड़ रविवार रात पांचों को जिंदा जला रही थी, उसी वक्त 12 साल का एक बच्चा छिपकर ये सब देख रहा था. गनीमत रही कि भीड़ की नजरों से वह बच गया, नहीं तो इसकी भी हत्या हो जाती. इस बच्चे ने अब उस वारदात की पूरी कहानी पुलिस को बताई है.
बच्चे का नाम सोनू है, जोकि मृतक बाबूलाल उरांव का बेटा है. उसने बताया कि रविवार रात को लगभग 10 बज रहे थे. इसी बीच, गांव के कई लोग अचानक ही घर पर धमक पड़े और हंगामा करने लगे. पिता बाबूलाल के साथ मारपीट की. उस समय घर में भाई, भाई, मां और दादी भी मौजूद थे. गांववालों ने इनके साथ भी मारपीट की.
‘मैंने घरवालों को जिंदा जलते देखा’
सोनू ने बताया कि रात के करीब एक बज रहे थे. मारपीट के बाद भाई, भाई, मां-पापा और दादी को गांववालों ने एक खंभे से बांध दिया. पांचों पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी. मेरे घरवाले जल रहे थे, ये मैं अपनी आंखों से देख रहा था.
कैसे खुद की बचाई जान?
सोनू के मुताबिक, एक महिला उसके पास आई और बोली कि यहां से चले जाओ, नहीं तो तुम्हें भी गांववाले जला देंगे. इसके बाद वह वहां से भाग गया. उसने बताया कि अगर वो नहीं भागता तो वह भी जिंदा नहीं होता. वारदात के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है. गांव का कोई भी व्यक्ति इस घटना पर प्रतिक्रिया देने से बच रहा है.
गांव में पंचायत के बाद पांच लोगों की जिंदा जलाकर हत्या
बीते रविवार को टेटगामा गांव में एक परिवार पर अंधविश्वास का आरोप लगाकर घर के पांच लोगों की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी. इसको लेकर गांव में एक पंचायत भी हुई थी. बताया जा रहा है कि इस पंचायत में करीब 300 लोग शामिल हुए. पंचायत के बाद बाबूलाल उरांव और उसके परिवार के चार सदस्यों की जलाकर हत्या कर गई.




