बिहार: पटना के इस्कॉन मंदिर में मारपीट, दो गुटों में जमकर चले लाठी-डंडे; क्या है मामला?
बिहार की राजधानी पटना के इस्कॉन मंदिर में रविवार को बड़ा बवाल हुआ. यहां भागलपुर इस्कॉन मंदिर से आए ब्रह्मचारियों के साथ जमकर मारपीट की गई. आरोप है कि पटना इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष ने भागलपुर के ब्रह्मचारियों को मीटिंग के लिए बुलाया था. इसी दौरान विवाद हुआ तो उनके इशारे पर ही बाउंसरों ने इस वारदात को अंजाम दिया है. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने अभी तक कोई मुकदमा तो नहीं दर्ज किया, लेकिन कई एंगल से मामले की जांच शुरू कर दी है.
इस संबंध में भागलपुर इस्कॉन मंदिर से आए ब्रह्मचारियों ने पुलिस में शिकायत भी दी है. पुलिस के पास पहुंचे ब्रह्मचारियों ने बताया कि मंदिर के प्रेसिडेंट मंदिर परिसर में कई तरह के अनैतिक काम कर रहे हैं. इस संबंध में उन लोगों ने संस्था अथॉरिटी में शिकायत की थी. इसी मामले में मंदिर प्रेसिडेंट ने मीटिंग के लिए बुलाया था और यहां आने पर उनके साथ मारपीट की गई है. ब्रह्मचारियों के मुताबिक मंदिर प्रेसिडेंट का एक आपत्तिजनक वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ है.
पुलिस पर भी मिलीभगत का आरोप
बाद में ब्रह्मचारियों ने पुलिस पर भी मंदिर प्रेसिडेंट के साथ मिली भगत का आरोप लगाया. कहा कि इस घटना के उनके शरीर पर जाहिर चोट के निशान हैं. उन लोगों ने पुलिस को पूरी घटना सुनाई, बावजूद इसके पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया. हालांकि पटना पुलिस के डीएसपी लॉ एंड आर्डर कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि सूचना मिलने पर वह खुद देर रात मंदिर पहुंचे थे और घटना स्थल का मुआयना किया था. उन्होंने बताया कि यह विवाद इस्कॉन मंदिर के एडमिनिस्ट्रेशन पर कंट्रोल करने को लेकर हुआ है.
भागलपुर के ब्रह्मचारियों ने लगाए आरोप
इसके लिए पहले से ही प्रबंधन के भीतर गुटबाजी चल रही है. पुलिस के मुताबिक इस्कॉन मंदिर से भागलपुर ट्रांसफर किए गए एक बालयोगी ने शिकायत दी है. इसमें पटना इस्कॉन मंदिर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. फिलहाल पुलिस शिकायत और मौके से मिले तथ्यों के आधार पर मामले की छानबीन शुरू कर दी है. जांच के दौरान जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी. उधर, पटना इस्कॉन मंदिर प्रबंधन ने दावा किया कि जो वीडियो इस समय सोशल मीडिया में वायरल किया जा रहा है, वह करीब छह साल पुराना है. उस समय एक साजिश के तहत मंदिर प्रेसिडेंट को आपत्तिजनक मामले में फंसाने की कोशिश की गई थी.