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घाटी में आतंकियों का डर लगभग खत्म… LG मनोज सिन्हा ने बताया कितने बदल गए हैं हालात

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को अपने एक बयान में कहा कि घाटी में आतंकवाद और उससे जुड़े नेटवर्क का डर अब लगभग खत्म हो चुका है. श्रीनगर में भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों से बातचीत करते हुए उपराज्यपाल ने बताया कि इस साल अब तक केवल एक स्थानीय युवक की आतंकी संगठन में भर्ती की पुष्टि हुई है. आज कश्मीर में हालात काफी बेहतर हुए हैं. अनंतनाग और पुलवामा जैसे जिलों में भी निवेश बढ़ रहा है. विशेष रूप से पुलवामा में श्रीनगर की तुलना में ज्यादा औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि जो पुलवामा जिला गलत कारणों से खबरों में बना रहता था अब वहां पर तिरंगा अभियान के दौरान रैलियों में युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. दुनिया ने देखा है कि किस तरह से हजारों युवाओं ने हाथों में भारत का तिरंगा लेकर आतंकवादियों के खिलाफ एकजुटता दिखाई. शोपियां और पुलवामा के वो गांव जहां पर न तो पुलिस जाती थी और न ही कोई सरकारी अधिकारी, लेकिन अब इन गांवों से निकलकर भी युवा इसमें अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. कश्मीर में हुए बदलावों का जिक्र करते हुए मनोज सिन्हा ने कहा कि जो लाल चौक सूरज ढ़लने के बाद उदास हो जाता था, लेकिन अब वो देर शाम को भी जीवंत रहता है.

आतंकवादियों की भर्ती में गिरावट

उन्होंने बताया कि शहर हो या गांव हो, भारत माता की जय के नारे गूंज रहे हैं. पहले घाटी में पड़ोसी देश के इशारे पर 150-150 दिनों तक हड़तालें होती थीं, लेकिन बीते पांच सालों में एक भी हड़ताल नहीं की गई. आतंकवादियों की भर्ती लोकत लेवल पर लगभग जीरों हो रही है. इस साल अब तक एक ही भर्ती हुई है. पहले हर दिन किसी न किसी जगह पर पत्थरबाजी होती थी, लेकिन अब यह इतिहास बन चुकी है. एक समय था जब किसी आतंकवादी के मारे जाने पर पूरी घाटी ठप हो जाती थी. दुकानें बंद, स्कूल-कॉलेज बंद, लेकिन अब वह दौर पीछे छूट चुका है.

कश्मीर की बदलती सोच

मनोज सिन्हा ने आगे कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के बाद कश्मीर में जो विरोध देखने को मिला वह जरूरी बदलाव का संकेत है. लोगों ने देखा कि पहलगाम हमले के बाद एक हफ्ते तक स्थानीय लोगों ने आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा विरोध जाताया. इसे लेकर बजुर्गों ने भी कहा कि इससे पहले इस तरह का माहौल कभी नहीं देखा गया. मनोज सिन्हा ने कहा कि इससे साफ होता की कश्मीर की सोच बदल रही है. घाटी में आने वाले बदलाव के पीछे पूरा देश है.

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