बाजरे की नहीं हो रही खरीद, डीएपी के लिए लाईन में लगे किसान: सविता मान
कहा, प्रकृति व सरकार की दोहरी मार पड़ी किसानों पर,किसान हितैषी होने का ढोंग रच रही है प्रदेश की नायब सरकार
भिवानी(ब्यूरो): हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की पूर्व महासचिव सविता मान ने कहा कि अबकी बार प्रकृति के साथ-साथ हरियाणा सरकार की भी किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। किसानों का बाजरा सरकार द्वारा खरीदा नहीं जा रहा है वहीं डीएपी खाद की किल्लत ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। किसानों को सुबह चार बजे उठकर डीएपी के लिए लाईनों में लगना पड़ रहा है। इसके बाद भी उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं हो रही है। पुलिस के साये में डीएपी खाद का वितरण हो रहा है। अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान ग्रामीणों से चर्चा करते हुए पूर्व प्रदेश महासचिव सविता मान ने कहा कि किसानों द्वारा बोया गया बाजरा इस बार घाटे का सौदा रहा है। किसानों को बाजरे की उपज का सही मूल्य नहीं मिला। सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का बाजरा नहीं बिका। जिसके कारण किसान परेशान हैं। भावांतर भरपाई के बाद भी किसान घाटे में रहेंगे।
उन्होंने कहा कि इस बार क्षेत्र में लगातार बारिश हुई। सितंबर के अंत तक तथा बाजरे की कटाई के समय तक बारिश जारी रही थी। जिसके कारण किसानों की बाजरे की फसल खराब हो गई। इसकी वजह से बाजरे का दाना काला पड़ गया। वहीं नमी भी ज्यादा रही। जिसके कारण सरकारी खरीद एजेंसियों ने बाजरे की खरीद बंद कर दी थी।
सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा बाजरे की खरीद बंद किए जाने के बाद मंडी में बाजरे की खरीद का काम प्राइवेट खरीद एजेंसियों ने शुरू कर दिया। ये प्राइवेट खरीद एजेंसी मनमाने रेट पर किसानों के बाजरे की खरीद बोली लगाकर कर रही हैं। जिसके कारण किसान परेशान हैं। सविता मान ने कहा कि बाजरे की एमएसपी 2775 रुपए है। इनमें 2200 एमएसपी तथा 575 रुपए भावांतर भरपाई के शामिल हैं। जबकि किसानों का बाजरा 1600 से 1800 रुपए के बीच ही बिक रहा है। इसलिए भाव का अंतर 800 रुपए से एक हजार रुपए तक का है। अगर प्राइवेट खरीद एजेंसी 2200 रुपए खरीद करें तो किसानों को इसका लाभ मिले। इससे नीचे खरीद पर किसानों को नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सुबह चार बजे से ही खाद के लिए लाइनें लगनी शुरू हो जाती हैं। सूरज निकलने तक सैकड़ों किसान अपनी बारी का इंतजार करते हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की तैनाती की जा रही है। सविता मान ने सवाल उठाया कि खाद वितरण के लिए पुलिस की आवश्यकता क्यों पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि हांसी में तो एक खरीद केंद्र पर किसानों को टोकन के बजाय उनके हाथों पर मोहर लगाई जा रही थी, ताकि वे दोबारा लाइन में न लग सकें। मान ने कहा कि किसान खाद लेने आए हैं, अपराधी नहीं। हाथ पर मोहर लगाना अंग्रेजों के जमाने की याद दिलाता है।
मान ने कहा कि यूरिया के बाद अब डीएपी की किल्लत खेती के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की नायब सरकार किसान हितैषी होने का झूठा ढोंग रच रही है। सरकार को किसानों की समस्या का समाधान करना चाहिए।




