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18 साल तक फर्जी वकील करता रहा वकालत, अब 3 साल की सजा; कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?

मध्य प्रदेश के भोपाल में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक शख्स ने खुद को वकील बताकर 18 साल तक अदालत, पुलिस और आम लोगों को गुमराह किया. आरोपी रविंद्र कुमार गुप्ता को अब अदालत ने तीन साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला भोपाल की अपर सत्र न्यायाधीश प्रहलाद सिंह कैमेथिया की अदालत ने सुनाया.

सरकारी पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक सतीष सिमैया ने इस मामले की पैरवी की. रविंद्र गुप्ता ने मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद का एक फर्जी सनद बनवाया था. इसी जाली प्रमाण पत्र के आधार पर उसने 14 अगस्त 2013 को भोपाल बार एसोसिएशन की सदस्यता भी प्राप्त कर ली थी. उसकी ओर से दिए गए रजिस्ट्रेशन नंबर 1629/1999 की जब जांच हुई, तो सामने आया कि यह नंबर पहले से ही उज्जैन के एक असली वकील प्रदीप शर्मा के नाम पर दर्ज था. यहीं से रविंद्र की धोखाधड़ी की परतें खुलनी शुरू हुईं.

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

बार काउंसिल से जुड़े वरिष्ठ वकील राजेश व्यास को रविंद्र गुप्ता की गतिविधियों पर शक हुआ. उन्हें रविंद्र के व्यवहार और पेशेवर जानकारी में खामियां नजर आईं. उन्होंने कोहेफिजा थाने में जाकर इस संदर्भ में शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस की ओर से की गई जांच में पाया गया कि रविंद्र द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेज फर्जी थे. उसके पास न तो वैध वकालत का प्रमाणपत्र था, न ही उसने किसी विधि संस्थान से डिग्री प्राप्त की थी.

3 अप्रैल 2017 को आरोपी के खिलाफ दर्ज की गई थी FIR

शिकायत और प्रारंभिक जांच के बाद 3 अप्रैल 2017 को पुलिस ने रविंद्र गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने अदालत में चालान पेश किया. तमाम साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी माना और उसे तीन साल की सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई.

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