ईरान को रूस से घातक हथियार मिल भी गए, तो क्या इजराइल की ताकत का कर पाएगा मुकाबला?
ईरान-इजराइल के बीच संभावित युद्ध को लेकर दुनियाभर में हलचल तेज है. अमेरिका लगातार इस संभावित युद्ध को रोकने की कोशिश में जुटा हुआ है. हालांकि, उसने इजराइल को इसके लिए आगाह भी किया है कि ईरान का हमला अप्रैल में हुए हमले से ज्यादा घातक हो सकता है.
मिडिल ईस्ट में जारी तनाव के बीच सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है रूस की. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूस इस जंग के लिए ईरान को मदद पहुंचा रहा है. सूत्रों के मुताबिक ईरान ने रूस से अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम समेत कई हथियार मांगे हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि रूस से ईरान को मिलने वाले जिन हथियारों की चर्चा की जा रही है क्या वो वाकई इतने घातक हैं कि इजराइल को कोई बड़ा नुकसान पहुंचा पाएं?
वो घातक हथियार जिनकी हो रही चर्चा
1. इस्कंदर मिसाइल सिस्टम रूस का इस्कंदर मिसाइल सिस्टम बेहद ताकतवर माना जाता है, इसमें शॉर्ट रेज की बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल हैं. इसे रूस ने 1988 में डिजाइन किया था और साल 2006 में रूसी सेना में शामिल किया गया. क्षमता की बात करें तो यह मिसाइल 500 से 700 kg तक न्यूक्लियर और नॉन न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है. इस्कंदर-एम सिस्टम की हर मिसाइल गाइडेड होती है, उसे उड़ान के दौरान कंट्रोल किया जा सकता है. हाल ही में रूस ने यूक्रेन में हमलों के लिए इसका इस्तेमाल किया है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ईरान को रूस से इस्कंदर मिसाइल सिस्टम मिल सकता है.
2. Su-35 फाइटर जेट सुखोई-35 विमान रूस का मल्टीरोल फाइटर जेट है. यह लड़ाकू विमान एडवांस रडार सिस्टम और लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों से लैस है. इसे सुखोई-27 को अपग्रेड कर बनाया गया है, जिसकी वजह से माना जाता है कि यह युद्ध के लिहाज से काफी कारगर है. सुखोई 35 लड़ाकू विमान हवा से हवा और हवा से जमीन पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है. इसकी अधिकतम स्पीड 2500 किमी प्रति घंटे की है. यह विमान एक साथ कई लक्ष्यों को साधने में सक्षम है. सूत्रों के अनुसार इजराइल से तनाव के बीच ईरान ने रूस से Su-35 की मांग की है.
3. मरमंस्क-BN इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर मरमंस्क-बीएन एक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम है. जो 5000 किलोमीटर तक की दूरी पर रेडियो टोही, दुश्मन के सिग्नल को रोकने और शॉर्टवेव रेंज में उनका दमन करने में सक्षम है. यह सैन्य कम्यूनिकेश के साथ-साथ नागरिकों के मोबाइल संचार को भी बाधिक करने की क्षमता रखता है. इसे पहली बार 2014 में क्रीमिया में स्थापित किया गया था.
4. S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है, इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक की है. यह डिफेंस सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइल और लो फ्लाइंग एयरक्राफ्ट को भी इंटरसेप्ट कर सकता है. माना जाता है कि जिस जगह पर इसकी तैनाती होती है वहां हवाई हमला करना मुमकिन नहीं होता. हालांकि ईरान के पास रूस के S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है लेकिन दावा किया जा रहा है कि ईरान उससे S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की मांग की है.
क्या इजराइल से ज्यादा ताकतवर है ईरान?
145 देशों की सूची में ईरानी सेना का 14 वां स्थान है जबकि इजराइली सेना इस लिस्ट में 17वें नंबर पर आती है. अगर सैनिकों की संख्या की बात की जाए तो ईरान के पास 6 लाख 10 हजार सैनिक हैं, वहीं इजराइल के पास 1 लाख 70 हजार. लेकिन ईरान की हवाई ताकत कमज़ोर है. ईरान के पास कुल 551 एयरक्राफ्ट हैं तो इजराइल के पास 612 एयरक्राफ्ट हैं. ईरानी सेना रैंकिंग के मामले में भले ही इजराइल से आगे हो लेकिन जमीन पर वो कमजोर ही नजर आती है. ईरान के पास ज्यादातर हथियार पुराने हैं और उनका रखरखाव बेहतर तरीके से नहीं हो पाता है.
वहीं मिडिल ईस्ट के बाकी देशों की बात करें तो ज्यादातर देशों के पास अत्याधुनिक हथियारों की कमी है, कई देश चाहकर भी ईरान को इतने एडवांस हथियार नहीं दे सकते जो इजराइल का मुकाबला कर सकें. हालांकि कुछ साल पहले तक तुर्किये नाटो देशों से हथियार खरीदता रहा है, लेकिन जब उसने रूस के साथ नज़दीकी बढ़ाई तो अधिकांश NATO देशों ने उसे हथियार बेचने से इनकार कर दिया था.
इजराइल के पास है सबसे मजबूत ‘सुरक्षा कवच’
दरअसल इजराइल के पास मौजूद लगभग सभी हथियार एडवांस हैं, उसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई देश अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराते हैं. इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम का तोड़ अब तक कोई नहीं निकाल पाया है. यह डिफेंस सिस्टम इजराइल की ओर दागी गईं मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देता है. कुछ महीनों पहले ईरान ने जब इजराइल पर हमला किया था तो उसकी 99 फीसदी मिसाइलों को आयरन डोम ने हवा में ही इंटरसेप्ट कर दिया था. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ईरान ने इजराइल पर तब 200 मिसाइल और ड्रोन दागे थे, लेकिन इससे इजराइल को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.
ऐसे में देखना होगा कि रूस जो कि करीब 2 साल से यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहा है उससे ईरान को क्या कोई घातक हथियार मिल पाएगा. और अगर ईरान इन घातक हथियारों को हासिल करने में कामयाब रहा भी तो क्या आयरन डोम जैसे मजबूत सुरक्षा कवच को भेदना मुमकिन होगा?