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हरियाणा के 6 शूटर मेडल पर निशाना लगाने को तैयार, टकटकी लगाए देख रहा भारत

डेस्कः हरियाणा के 6 शूटर पेरिस ओलंपिक में मेडल निशाना लगाने को तैयार हैं। 25 जुलाई गुरुवार से शुरू हो रहे खेलों के महाकुंभ पर देश की नजरें हरियाणा के शूटरों पर टिकी हैं। शूटरों के इस दल की अगुवाई झज्जर की युवा ओलंपिक चैंपियन मनु भाकर कर रहीं हैं। भाकर महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम और महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धाओं में भाग लेने वाली एकमात्र एथलीट हैं और वह पदक की सबसे बड़ी दावेदार हैं।

इन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भी भाग लिया था। टोक्यो ओलंपिक में 22 वर्षीय मनु ने निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद सबका ध्यान अपनी तरफ खींचने में कामयाब हुईं। हालांकि इस बाद देश को उनसे मेडल की उम्मीदें बढ़ गईं हैं। क्योंकि उनके पास टोक्यो अलंपिक का एक्पीरियंस है। मनु के अलावा करनाल के अनीश भानवाला, अंबाला के सरबोजोत सिंह और फरीदाबाद की रिदम सांगवान से भी पिस्टल स्पर्धाओं में पदक की उम्मीदें हैं।

भनवाला ने आशाजनक परिणाम दिए हैं। अपने नाम पर जूनियर विश्व रिकॉर्ड रखने वाले एक विलक्षण निशानेबाज हैं, वह पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में प्रतिस्पर्धा करेंगे। दिल्ली में डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण लेने वाले युवा खिलाड़ी रविवार को टीम के अन्य सदस्यों के साथ पेरिस के लिए रवाना हुए। पिता जगपाल सिंह कहते हैं, “वह महीनों तक अकेले अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करता रहा। इस दौरान उसके साथ पूरा परिवार खड़ा रहा। उसे शूटिंग रेंज में कोच हरप्रीत सिंह द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। 2017 से वह अपनी छोटी उम्र के बावजूद सीनियर वर्ग में खेल रहा है।” 15 साल की उम्र में कॉमनवेल्थ चैंपियन और किशोरावस्था में विश्व कप पदक विजेता बन गया था।

करनाल की रायजा ढिल्लों महिलाओं की स्कीट शॉटगन स्पर्धाओं में हरियाणा का प्रतिनिधित्व करेंगी। जबकि कुरुक्षेत्र की रमिता जिंदल राइफल दस्ते का हिस्सा होंगी और महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में प्रतिस्पर्धा करेंगी। इनमें से कुछ निशानेबाजों को पिछले कुछ वर्षों में निजी संगठनों, केंद्र की टॉप्स योजना और ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट जैसे संगठनों से समर्थन मिला है, लेकिन उनके प्रशिक्षण और मैदान से बाहर की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें अपने परिवारों पर निर्भर रहना पड़ता है। विश्व कप जैसे बड़े मंचों पर निशानेबाजों ने जितने पदक जीते हैं, इससे यह पता चलता है कि इन खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। हलांकि इन्हें सरकार की ओर से और अधिक मदद की उम्मीद है।

बात करें इन खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं की तो हरियाणा में अभ्यास के लिए शूटिंग रेंज तक नहीं है। रोहतक के खेल विशेषज्ञ राजनारायण पंघाल ने कहा, “राज्य में कोई सरकारी शूटिंग अकादमी नहीं है और सभी निशानेबाजों को निजी अकादमियों में प्रशिक्षण लेना पड़ता है। राज्य में लगभग हर खेल में प्रतिभा की भरमार है, लेकिन खिलाड़ी को अभ्यास, आहार और आर्थिक रूप से केवल अपने परिवार पर निर्भर रहना पड़ता है।”

इस सब सुविधाओं की बाद अच्छा कोच और महौल जरूरी है। इसके बाद ही ओलंपिक जैसी प्रतियोगिता में खिलाड़ी परफॉर्मेंस दे पाएंगे। इसके अलावा राजनारायण पंघाल ने कहा कि अन्य देशों के खिलाड़ियों के मुकाबले भारतीय खिलाड़ियों को सहुलियतें नहीं मिल पाती हैं। इसलिए ओलंपिक जैसे विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में भारतीय खिलाड़ियों के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं मिल पाती।

हरियाणा के 24 एथलीट भारत के 117 सदस्यीय दल में सबसे बड़ा हिस्सा हैं, जो 2024 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए पेरिस जा रहे हैं। देश ने कुश्ती और ट्रैक-एंड-फील्ड में हरियाणा के एथलीटों से पदक, यहां तक ​​कि स्वर्ण पदक की भी उम्मीद की है, जिसमें विनेश फोगट, अंतिम पंघाल और टोक्यो के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। लेकिन इस बार शूटिंग में मेडल की उम्मीदें हैं, क्योंकि रेसलिंग के बाद सबसे अधिक खिलाड़ी शूटिंग में हैं और ये सभी नामचीन खिलाड़ी हैं।

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