‘आपातकाल इतिहास का काला धब्बा, कांग्रेस ने संविधान की भावना को कुचला’, इमरजेंसी पर बरसे ओम बिरला
ओम बिरला एक बार फिर लोकसभा के स्पीकर बन गए हैं। बुधवार को उन्हें ध्वनिमत से स्पीकर चुना गया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपने पहले ही संबोधन में इमरजेंसी की निंदा की। उन्होंने कहा कि सदन आपातकाल की निंदा करता है। आपातकाल भारत के इतिहास में एक काला धब्बा है। उन्होंंने कहा कि कांग्रेस ने संविधान की भावना को कुचला है।
आपातकाल भारत के इतिहास में एक काला धब्बा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, “यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा।”
भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई थी
उन्होंने कहा कि इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था और बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया था। भारत को पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। भारत में हमेशा से ही लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है। लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई थी। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।”
मैं सभी का आभारी हूं- ओम बिरला
ओम बिरला ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी, सदन के सभी सदस्यों को मुझे फिर से सदन के अध्यक्ष के रूप में दायित्व निर्वाहन करने का अवसर देने के लिए सबका आभार व्यक्त करता हूं…मुझ पर भरोसा दिखाने के लिए भी मैं सभी का आभारी हूं।” बिरला ने कहा “यह 18वीं लोकसभा लोकतंत्र का विश्व का सबसे बड़ा उत्सव है। अन्य चुनौतियों के बावजूद 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने पूरे उत्साह के साथ चुनाव में भाग लिया। मैं सदन की ओर से उनका और देश की जनता का आभार व्यक्त करता हूं।
उन्होंने कहा कि निष्पक्ष, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव प्रक्रिया संचालित करने के लिए और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी एक भी वोट पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा किए गए प्रयासों के लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार बनी है। पिछले एक दशक में लोगों की अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं। इसलिए, यह हमारा दायित्व बनता है कि उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए हम सामूहिक प्रयास करें।”