ED का बड़ा एक्शन: फर्जी बैंक गारंटी केस में रिलायंस ग्रुप के CFO अशोक पाल गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस पावर लिमिटेड के CFO अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया है. ये गिरफ्तारी कथित तौर पर रिलायंस पावर से जुड़े फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी इनवॉइसिंग मामले में हुई है. अनिल पाल को कल रात दिल्ली ऑफिस में पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया. अधिकारियों के मुताबिक, उन्हें आज रिमांड के लिए जज के सामने पेश किया जाएगा.
अनिल अंबानी इन दिनों कई तरह की वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में अशोक पाल की गिरफ्तारी कंपनी के लिए एक और झटका साबित हो सकता है. हाल ही के दिनों में ED ने अनिल को पूछताछ के लिए बुलाया था. ED के अनुसार, RHFL और RCFL की ओर से 12,524 करोड़ रुपये के लोन दिए गए. इनमें से ज्यादातर लोन रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी कंपनियों को बांट दिए गए. इसमें से 6,931 करोड़ रुपये के लोन को नॉन परफॉर्मिंग असेट्स घोषित किया गया है. सूत्रों के अनुसार, अशोक को गुरुवार रात को दिल्ली के उनके दफ्तर से पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है.
रिलायंस पावर लिमिटेड (RPL) के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) अशोक कुमार पाल पर बड़े पैमाने पर फंड डाइवर्जन और फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में अहम भूमिका निभाने के आरोप लगे हैं. RPL एक लिस्टेड कंपनी है, जिसमें जनता की हिस्सेदारी 75% से ज्यादा है. जानकारी के मुताबिक, अशोक पाल को कंपनी बोर्ड के एक प्रस्ताव के तहत एसईसीआई (SECI) की बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) टेंडर से जुड़ी सभी फाइलें और दस्तावेज़ साइन व मंजूर करने की अनुमति दी गई थी. इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कंपनी की वित्तीय साख का गलत इस्तेमाल किया.
बताया जा रहा है कि उन्होंने एसईसीआई को धोखा देने के इरादे से 68 करोड़ रुपये से ज़्यादा की फर्जी बैंक गारंटी (BG) जमा कराई. इस पूरे फर्जीवाड़े की योजना, निगरानी, फंडिंग और सबूत छिपाने में उनकी सीधी भूमिका रही. उन्होंने जिस कंपनी Biswal Tradelink Pvt. Ltd. (BTPL) को बैंक गारंटी देने के लिए चुना, वह एक छोटी सी फर्म है जो रेजिडेंशियल पते से चलती है और जिसके पास किसी भी असली BG जारी करने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इस कंपनी के डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
ये भी लगे आरोप
अशोक पाल पर करोड़ों रुपये के फर्जी ट्रांसपोर्ट बिलों के जरिए धन निकालने का भी आरोप है. बताया जाता है कि उन्होंने व्हाट्सऐप और टेलीग्राम के जरिए फाइलों को मंजूरी दी, ताकि कंपनी की आधिकारिक SAP या वेंडर सिस्टम से बाहर रहकर भुगतान कराया जा सके. घोटाले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि रिलायंस पावर ने जो बैंक गारंटी लगाई, वह FirstRand Bank, Manila, Philippines के नाम से थी. जबकि इस बैंक की फिलीपींस में कोई शाखा है ही नहीं.
इतना ही नहीं, उन्होंने ऐसे फर्जी बैंक गिरोह की मदद ली जो असली बैंकों के जैसे दिखने वाले ईमेल डोमेन का इस्तेमाल करता है. जैसे sbi.17313@sbi.co.in के बजाय s-bi.co.in. इसी तरह lndianbank.in, lndusindbank.in, pnblndia.in, psdbank.co.in, siliguripnb.co.in, Iobbank.co.in और unionbankoflndia.co.in जैसे नकली डोमेन बनाए गए ताकि लोगों को लगे कि ये असली बैंक हैं. अशोक कुमार पाल की भूमिका इस पूरे फर्जी बैंक गारंटी और धन गबन के खेल में बेहद अहम रही है, जिससे आम जनता और निवेशकों के हितों को सीधा नुकसान पहुंचा है.




