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हरियाणा में सर्दियों में पड़ा सूखा, फरवरी में भी बारिश की उम्मीद नहीं… जानिए वजह

हिसार: जनवरी और फरवरीको सर्दियों की बारिश के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है, लेकिन इस बार जनवरी भी करीब 38 प्रतिशत कम बारिश के साथ बीत गया। वहीं, फरवरी में भी बारिश की कोई संभावना नहीं दिख रही है। बारिश की इस कमी का सीधा असर मौसम और फसलों पर देखने को मिल रहा है।

गर्म होता मौसमः गेहूं की फसल के लिए खतरागेहूं की अच्छी पैदावार के लिए औसत तापमान 15.0 से 16.0 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना चाहिए। लेकिन पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) की कमी के कारण बारिश में भारी गिरावट आई है, जिससे तापमान सीमा रेखा तक पहुंच गया है।

यह सीमा रेखा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर औसत तापमान 17.0 डिग्री तक पहुंच जाता है, तो गेहूं की बढ़त पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे उत्पादन में गिरावट भी संभव है। जिस तरह सर्दियां कम हो रही हैं और जनवरी में भी तापमान बढ़ रहा है, यह गेहूं वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। जब तापमान गेहूं की फसल के लिए अनुकूल नहीं रहता, तो उत्पादन में भारी कमी आती है। ऐसा पहले भी देखा गया है, जब किसानों को 20 से 25 प्रतिशत तक कम उत्पादन का सामना करना पड़ा था। भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान ( के निदेशक डॉ. रतन तिवारी का कहना है कि वैज्ञानिकों की टीम भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए लगातार काम कर रही है।1

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