बड़ी बोली के बाद भी निराशा! वेदांता को नहीं मिला ‘जल’ प्रोजेक्ट

ऐसा ना के बराबर ही देखा गया है कि किसी ने किसी चीज के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाई हो, उसे वो सामान ना मिलकर किसी और वो चीज मिल गई हो वो भी तब जब उसकी बोली की रकम हो. वेदांता ग्रुप के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. जय प्रकाया एसोसिएट्स लिमिटेड के लिए वेदांता ग्रुप की सबसे बड़ी बोली होने के बाद भी अडानी ग्रुप से हारते हुए नजर आ रहे हैं. अडानी ग्रुप की ओर से जो बोली लगाई थी, वो वेदांता से कम थी. जानकारों के अनुसार जयप्रकाश एसोसिएट्स के लेनदारों ने सर्वसम्मति से अडानी एंटरप्राइजेज के पक्ष में मतदान किया है. जिसकी वजह से ज्यादा बोली लगाने के बाद भी वेदांता ग्रुप की झोली ‘जल’ से खाली रह गई है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है?
लेंडर्स ने क्यों किया अडानी को वोट?
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सितंबर में एक इलेक्ट्रॉनिक नीलामी में 17,000 करोड़ के ऑफर के साथ वेदांता, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी बनकर उभरी थी. हालांकि, लेनदारों ने अडानी एंटरप्राइजेज को इसलिए चुना क्योंकि उसने ज़्यादा एडवांस पेमेंट करने का ऑफर दिया था. उन्होंने बताया कि अडानी एंटरप्राइजेज की बोली का शुद्ध वर्तमान मूल्य वेदांता की तुलना में लगभग 500 करोड़ रुपए कम था. वैसे अभी तक अडानी की कुल बोली कितनी थी इसकी जानकारी सामने नहीं आ सकी है. मतदान मंगलवार रात 9 बजे समाप्त हुआ.
जल पर 55 हजार करोड़ का बकाया
पिछले हफ़्ते लेनदारों की समिति द्वारा तैयार की गई एक स्कोर शीट में अडानी एंटरप्राइजेज को सबसे ज्यादा अंक दिए गए थे. इसकी बोली को 100 में से अंक दिए गए थे. हालांकि, जानकार लोगों के अनुसार, कुछ लेंडर्स ने इस स्कोरिंग सिस्टम को चुनौती दी है. नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, जयप्रकाश एसोसिएट्स की सबसे बड़ी ऋणदाता है. जेएएल पर लेनदारों का 55,000 करोड़ रुपए बकाया है. कंपनी को पिछले साल जून में दिवालियेपन की कार्यवाही के लिए स्वीकार किया गया था. इसका प्रबंधन डेलॉइट समर्थित समाधान पेशेवर भुवन मदान द्वारा किया जा रहा है. नाम ना बताने की शर्त पर एक सूत्र ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि अडानी एंटरप्राइजेज को वोट देने के लेंडर्स के फैसले की कानूनी तौर पर जांच हो सकती है क्योंकि यह सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी नहीं थी. हालांकि, अदालतें आमतौर पर संकटग्रस्त खातों के समाधान के बारे में फेसला लेने में लेंडर्स की व्यावसायिक समझदारी को बरकरार रखती हैं.
मूल रूप से 5 कंपनियों ने समाधान योजनाएं लेकर सामने आई थीं. अडानी और वेदांता के अलावा, इनमें डालमिया भारत, नवीन जिंदल की जिंदल पावर और पीएनसी इंफ्राटेक शामिल थीं. डालमिया भारत शुरुआत में सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी, लेकिन कहा गया कि उसकी पेशकश सशर्त थी. बाद में हुई इलेक्ट्रॉनिक नीलामी में उसने भाग नहीं लिया. इस महीने की शुरुआत में मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि मनोज गौड़ के नेतृत्व में जेएएल के प्रमोटर्स ने कंपनी को दिवालियेपन की कार्यवाही से बाहर निकालने के लिए लेनदारों को 18,000 करोड़ रुपए के समझौते की पेशकश की थी. हालांकि, लेनदारों का मानना था कि गौड़ अपनी पेशकश के लिए वित्तीय समर्थन का पर्याप्त प्रमाण नहीं दे सके. जेपी ग्रुप की प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स का पोर्टफोलियो सीमेंट, बिजली, इंजीनियरिंग और आतिथ्य से लेकर रियल एस्टेट और खेल अवसंरचना तक फैला हुआ है. ग्रेटर नोएडा में इसकी स्पोर्ट्स सिटी परियोजना 1,000 हेक्टेयर में फैली हुई है.



