असली शिक्षा संस्कारों में परिवर्तन लाती है : डॉ. संजय कुमार झा
शिक्षाविदों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन ओम शांति रिट्रीट सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में 300 से भी अधिक शिक्षाविदों ने की शिरकत
गुरुग्राम, (ब्यूरो): ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। समापन सत्र में बोलते हुए एमिटी विश्वविद्यालय में लिबरल आर्ट्स के निदेशक डॉ. संजय कुमार झा ने कहा कि हम सिर्फ मन को शिक्षित कर रहे हैं। जब तक हृदय से शिक्षित नहीं होंगे, तब तक सही मायने में शिक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा सिर्फ सूचनाओं का केंद्र बन चुकी है। असली शिक्षा वो है जो मनुष्य के संस्कारों को परिवर्तन कर दे। डॉ. झा ने कहा कि भारत की प्राचीन शिक्षा गुरुकुल पर आधारित थी। शिक्षक और गुरु में बहुत अंतर है। शिक्षक से ज्यादा हमें गुरु की जरूरत है। गुरु जीवन को बदलता है। शिक्षक जीवन के लिए धन कमाना सिखाता है लेकिन गुरु जीवन जीने की कला सिखाता है।
जयपुर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय(इग्नू) के सहायक क्षेत्रीय निदेशक कमलेश मीणा ने कहा कि देश को बनाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षक अगर जागरूक हैं तो पीढिय़ां प्रबुद्ध हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान आध्यात्मिक जागृति से शिक्षा में मूल्यों के समावेश का महान कार्य कर रहा है। आज केवल देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में संस्थान के द्वारा ये अभियान चल रहा है। उन्होंने कहा कि 21 वर्षों से वो संस्थान के साथ जुड़े हैं। ब्रह्माकुमारीज़ शिक्षकों को एनरिच करने का कार्य कर रही हैं।
नवल्स नेशनल एकेडमी, गोरखपुर के निदेशक डॉ. विनय कुमार झा ने कहा कि जब हम अंदर से हल्के होते हैं तो संबंधों में भी हल्के रहते हैं। मनुष्य का अहंकार ही उसे भारी बनाता है। उन्होंने कहा कि हमारा आचरण ही दूसरों को प्रेरित करता है।
संस्थान की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके किरण ने कहा कि राजयोग के अभ्यास से ही हम चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज मानसिक प्रदूषण काफी बढ़ चुका है। जिसे आध्यात्मिक जागृति से ही ठीक कर सकते हैं। समाज में अनेक प्रकार के दबाव झेलने पड़ते हैं। लेकिन जब हम अंदर से मजबूत होते हैं तो आसानी से उनका सामना कर सकते हैं।
जयपुर से संस्थान के शिक्षा प्रभाग के क्षेत्रीय संयोजक प्रोफेसर मुकेश कुमार ने कहा कि जिनका भी हमारे जीवन में योगदान है, उनका धन्यवाद जरूर करें। भूतकाल की स्मृतियों को भुलाने के लिए वर्तमान की श्रेष्ठ स्मृतियों में जीएं। उन्होंने कहा कि राजयोग हमें स्वयं से बात करना सिखाता है।
तीन दिवसीय कार्यक्रम में एक बहुत सुन्दर थॉट लैब बनाई गई। जिसमें आध्यात्मिकता पर आधारित अनेक एक्टिविटी बताई गई। मन की एकाग्रता और मेमोरी पर विशेष जोर दिया गया। कार्यक्रम में पैनल डिस्कशन के माध्यम से भी अनुभवी वक्ताओं द्वारा अनेक विषयों पर चर्चा हुई। सभी ने शिक्षा में मूल्यों के समावेश पर बल दिया।
राजयोग शिक्षिका बीके चित्रा ने सभी को योग की गहन अनुभूति कराई। मंच संचालन बीके नेहा ने किया।




