‘गब्बर’ से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर कृष्ण मिड्ढा, अनिल विज ने गले लगाकर किया स्वागत
चंडीगढ़ : जींद के विधायक और हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण मिड्ढा और परिवहन, ऊर्जा व श्रम मंत्री अनिल विज के बीच का आपसी प्यार किसी से छिपा नहीं है। मिड्ढा के विधायक बनने के बाद ऐसे कईं मौके आए, जब अनिल विज बिना किसी पूर्व सूचना के उनसे मिलने पहुंच जाते थे। कुछ उसी प्रकार से आज विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण मिड्ढा भी कोई पूर्व सूचना दिए बिना ही हरियाणा सचिवालय में अनिल विज से उनके कार्यालय में मिलने पहुंच गए।
इस दौरान अनिल विज ने हंसते हुए गले लगाकर मिड्ढा का पूरी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। मिड्ढा काफी देर तक अनिल विज के साथ उनके कार्यालय में रहे। इस दौरान प्रदेश की विकास योजनाओं के अलावा कईं अन्य मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई।
फिर से परिवहन विभाग में लौटे खेमका
ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को कई सालों के अंतराल के बाद रिटायरमेंट से महज पांच महीने पहले एक महत्वपूर्ण विभाग में नियुक्त किया गया है। बता दें कि 33 साल के कैरियर में उनकी 57 पोस्टिंग हो चुकी है। 1991 बैच के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका मुद्रण और स्टेशनरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। अब उन्हें आईपीएस अधिकारी नवदीप विर्क के स्थान पर परिवहन विभाग का एसीएस नियुक्त किया गया है। बता दें कि अशोक खेमका 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। अब वो परिवहन विभाग में वापस आ गए हैं, जिसे वर्तमान में मंत्री अनिल विज संभाल रहे हैं।
तत्कालीन परिवहन आयुक्त के रूप में खेमका ने ऑटोमोबाइल और सफेद वस्तुओं के परिवहन के लिए बड़े आकार के ट्रकों और ट्रेलरों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण जनवरी में ट्रक चालकों ने हड़ताल कर दी थी। बाद में, राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR), 1989 के अनुसार अपने वाहनों को संशोधित करने के लिए एक वर्ष का समय दिया, जिसके बाद राज्य के ट्रक चालकों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी।
बता दें कि कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने सरकार को पत्र लिखा था कि आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को परिवहन विभाग में लगाया जाए। अब सरकार ने उनको परिवहन विभाग में नियुक्त कर दिया है, जिस पर परिवहन मंत्री अनिल विज ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ये अच्छी बात है कि सिविल ऑफिसर की और आईपीएस ऑफिसर की ट्रेनिंग अलग किस्म की होती है। उन्होंने कहा कि अशोक खेमका अगर एक जगह होते तो, आईएएस से भी दौड़ें लगवाते। उनसे भी हाथ ऊंचे करके दंड बैठकें लगवाते। इसलिए इनको अलग काम दिया गया। ये अलग काम वो अपने तरीके से करते हैं।