राष्ट्रीय
आर्टिफिशियल व रोबोटिक सर्जरी आने वाले समय में सर्जरी के क्षेत्र में आएंगे बड़े बदलाव: डा ऊषा किरण अन्तरराष्ट्रीय सर्जन
नई तकनीक से लगेंगे कम कट, कम चीरा, सर्जरी के बाद जल्द होगी रिकवरी: डा उषा किरण

सोमवीर शर्मा भिवानी(ब्यूरो): आने वाले समय में रोबोटिक तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रयोग से सर्जरी कार्य बहुत ही आसान तथा पूर्णयता दक्षता के साथ होंगे तथा इस प्रकार की सर्जरी में कम से कम चीरा लगेगा तथा कम समय में ही ऑपरेशन के बाद मरीज रिकवर होंगे। यह बात दुंबई से भिवानी पहुंची अंतरराष्ट्रीय लेप्रोस्कोपिक सर्जन डा.उषा किरण ने भिवानी के भारद्वाज मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में तीन दिवसीय एडवांस गायनी लेप्रोस्कोपिक वर्कशॉप के समापन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। इस अवसर पर डा.शिवशंकर भारद्वाज ,डा.कमला भारद्वाज , डा.स्वाति भारद्वाज व डा.सीमा भारद्वाज भी मौजूद थे।
इस मौके पर वरिष्ठ सर्जन डा.उषा किरण ने बताया कि महिलाओं में बच्चेदानी, रसौली, ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों से बचने के लिए समय रहते अपनी नियमित जांच करवानी चाहिए। इस मौके पर उन्होंने बताया कि हमें किसी भी बीमारी की गंभीरता पर किए जाने वाले खर्च की बजाए बीमारी की रोकथाम पर खर्च करना चाहिए। यह एक आसान व सस्ता तरीका है। बीमारियों से बचने के लिए रोकथाम की जानकारी अधिक से अधिक देने पर होने वाला खर्च परिणाम भले ही देर से लाता है परन्तु चिकित्सीय क्षेत्र में रोकथाम पर होने वाला खर्च बीमारी से होने वाले खर्च से बेहतर विकल्प है। वहीं उन्होंने फूड सेफ्टी को लेकर भी चर्चा की और कहा कि हमें आर्गेनिक फूड का प्रयोग करते हुए बीमारियों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। घर के आसपास या छोटे प्रांगण में रोजमर्रा जरूरत की सब्जियों का उत्पादन करना चाहिए। बाहर से लाई गई सब्जियों व फलों को प्रयोग करने से पहले पानी में डूबो कर रखने के बाद टोंटी के बहते जल में धोकर ही प्रयोग करना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि लेप्रोस्कोपी एक कैमरे की सहायता से छोटे चीरों का उपयोग करके उदर या श्रोणि में किया जाने वाला एक ऑपरेशन है। लेप्रोस्कोप में डॉक्टर मरीज के शरीर में बिना किसी बड़े चीरा किये हुए उदर या श्रोणि के अंदर तक सर्जरी करने में सक्षम हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि दूरबीन ऑपरेशन के दौरान आमतौर पर, हर चीरे पर एक या दो टांके लगाना आम बात है, लेकिन कुछ चीरे बहुत छोटे होने पर टांके लगाने की ज़रूरत नहीं होती। ऑपरेशन के दौरान टांकों की सटीक संख्या सर्जन के निर्णय और की जा रही विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा निर्धारित की जाती है। तीन दिवसीय वर्कशॉप के दौरान काम्पलेक्स गायनी के 10 से अधिक ऑपरेशन करने के साथ ही बड़ी संख्या में महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेप्रोस्कोपी सर्जन डा ऊषा किरण समय-समय पर विदेश से आकर भारत के दूरदराज क्षेत्रों लेह, कारगिल में जरूरतमंदों को चैरिटी आधार पर कैंप लगाकर आप्रेशन करती रहीं हैं। वे इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के बाद भिवानी में चैरिटी ऑपरेशन करने व वर्कशॉप में भाग लेने के लिए पहुंची थी। डॉ. उषा किरण एक विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ और लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं और यूएई की सबसे प्रभावशाली डॉक्टरों में से एक हैं। वह यूएई में निशान रहित सर्जरी करने वाली पहली डॉक्टर हैं। उन्हें यूएई में मरीजों द्वारा सबसे अधिक समीक्षा की जाने वाली डॉक्टर के रूप में भी मान्यता दी गई है।
इस मौके पर वरिष्ठ सर्जन डा.उषा किरण ने बताया कि महिलाओं में बच्चेदानी, रसौली, ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों से बचने के लिए समय रहते अपनी नियमित जांच करवानी चाहिए। इस मौके पर उन्होंने बताया कि हमें किसी भी बीमारी की गंभीरता पर किए जाने वाले खर्च की बजाए बीमारी की रोकथाम पर खर्च करना चाहिए। यह एक आसान व सस्ता तरीका है। बीमारियों से बचने के लिए रोकथाम की जानकारी अधिक से अधिक देने पर होने वाला खर्च परिणाम भले ही देर से लाता है परन्तु चिकित्सीय क्षेत्र में रोकथाम पर होने वाला खर्च बीमारी से होने वाले खर्च से बेहतर विकल्प है। वहीं उन्होंने फूड सेफ्टी को लेकर भी चर्चा की और कहा कि हमें आर्गेनिक फूड का प्रयोग करते हुए बीमारियों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। घर के आसपास या छोटे प्रांगण में रोजमर्रा जरूरत की सब्जियों का उत्पादन करना चाहिए। बाहर से लाई गई सब्जियों व फलों को प्रयोग करने से पहले पानी में डूबो कर रखने के बाद टोंटी के बहते जल में धोकर ही प्रयोग करना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि लेप्रोस्कोपी एक कैमरे की सहायता से छोटे चीरों का उपयोग करके उदर या श्रोणि में किया जाने वाला एक ऑपरेशन है। लेप्रोस्कोप में डॉक्टर मरीज के शरीर में बिना किसी बड़े चीरा किये हुए उदर या श्रोणि के अंदर तक सर्जरी करने में सक्षम हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि दूरबीन ऑपरेशन के दौरान आमतौर पर, हर चीरे पर एक या दो टांके लगाना आम बात है, लेकिन कुछ चीरे बहुत छोटे होने पर टांके लगाने की ज़रूरत नहीं होती। ऑपरेशन के दौरान टांकों की सटीक संख्या सर्जन के निर्णय और की जा रही विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा निर्धारित की जाती है। तीन दिवसीय वर्कशॉप के दौरान काम्पलेक्स गायनी के 10 से अधिक ऑपरेशन करने के साथ ही बड़ी संख्या में महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेप्रोस्कोपी सर्जन डा ऊषा किरण समय-समय पर विदेश से आकर भारत के दूरदराज क्षेत्रों लेह, कारगिल में जरूरतमंदों को चैरिटी आधार पर कैंप लगाकर आप्रेशन करती रहीं हैं। वे इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के बाद भिवानी में चैरिटी ऑपरेशन करने व वर्कशॉप में भाग लेने के लिए पहुंची थी। डॉ. उषा किरण एक विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ और लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं और यूएई की सबसे प्रभावशाली डॉक्टरों में से एक हैं। वह यूएई में निशान रहित सर्जरी करने वाली पहली डॉक्टर हैं। उन्हें यूएई में मरीजों द्वारा सबसे अधिक समीक्षा की जाने वाली डॉक्टर के रूप में भी मान्यता दी गई है।