मध्यप्रदेश

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दोषसिद्धि छिपाने पर रद्द हो सकता है उम्मीदवार का चुनाव

उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने शुक्रवार को बिहार चुनाव के बीच एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि नामांकन पत्र में दोषसिद्धि का खुलासा न करने पर निर्वाचित उम्मीदवार को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने एक पूर्व पार्षद पूनम द्वारा दायर अपील पर यह आदेश पारित किया. पूनम को इसलिए पद से हटा दिया गया था क्योंकि उन्होंने चुनाव के लिए नामांकन पत्र में एक मामले में अपनी दोषसिद्धि का खुलासा नहीं किया था.

पूनम को मध्य प्रदेश के भीकनगांव नगर परिषद में पार्षद पद से हटा दिया गया था. उन्हें चेक बाउंस के एक मामले में दोषी ठहराया गया और एक साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. साथ ही मुआवज़ा देने का निर्देश भी दिया गया था.

अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ याचिका खारिज

पूनम की उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि जब यह पाया जाता है कि किसी उम्मीदवार ने अपनी पिछली दोषसिद्धि का खुलासा नहीं किया है, तो इससे मतदाता के स्वतंत्र निर्वाचन अधिकार के प्रयोग में बाधा उत्पन्न होती है. उसने कहा कि इस प्रकार मतदाता सूचित और सलाह-मशविरा के आधार पर चुनाव करने से वंचित रह जाता है. यह ऐसे उम्मीदवार द्वारा जानकारी छिपाने या खुलासा न करने का मामला होगा, जिससे चुनाव रद्द हो जाता है.

नामांकन पत्र को स्वीकार करना सही नहीं

अदालत ने कहा कि 1881 के अधिनियम की धारा 138 के तहत अपनी दोषसिद्धि का खुलासा न करके, याचिकाकर्ता ने महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई. इस प्रकार मध्य प्रदेश नगर पालिका निर्वाचन नियम, 1994 के नियम 24-ए (1) की अनिवार्य आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रही. इसलिए उसके नामांकन पत्र को स्वीकार करना सही नहीं है.

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