दारोगा को वकील की हत्या के मामले में हुई थी उम्रकैद, फिर हाईकोर्ट ने दी जमानत… 10 साल बाद पुलिस की वर्दी पहन छलके आंसू

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक दरोगा को एक वकील की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. जब उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो उन्हें जमानत मिल गई. इसके बाद दरोगा ने 10 साल बाद जब फिर से वर्दी पहनी तो उनकी आंख से आंसू छलक पड़े. वकील की हत्या की घटना साल 2015 में हुई थी, जिसके बाद अब उनकी दोबारा से तैनाती हुई है.
ये मामला साल 2015 में शुरू हुआ था, जब 11 मार्च का दिन था और प्रयागराज में सीजेएम कोर्ट के पास दरोगा शैलेंद्र सिंह की वकील नबी अहमद के साथ बहस हो गई थी. इसी बहस के बीच गोली चल गई थी. इसमें वकील नबी अहमद की जान चली गई थी. इस मामले में दरोगा को सजा हुई और उन्हें जेल भेज दिया गया. दरोगा शैलेंद्र का केस कोई भी वकील लड़ने के लिए राजी नहीं था.
साल 2023 में मिली थी जमानत
साल 2022 में रायबरेली कोर्ट ने दरोगा शैलेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुना दी, साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना भी दरोगा पर लगाया. दरोगा के परिजनों की मांग पर ही उनके केस को रायबरेली में ट्रांसफर किया गया था. फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो वहां से उन्हें 2023 में जमानत मिल गई. पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि दरोगा शैलेंद्र की सजा पर डबल बेंच ने रोक लगी दी.
10 साल बाद वर्दी पहनकर हुए भावुक
अब जब उन्हें जमानत मिली तो उनकी पहली पोस्टिंग आगरा कमिश्नरेट में की गई. यहां उन्होंने 10 साल 5 महीने बाद वर्दी पहनी. जिस वक्त वकील की हत्या हुई थी. उस समय दरोगा शैलेंद्र प्रयागराज में शंकरगढ़ की नारीबारी चौकी पर तैनात थे. दरोगा शैलेंद्र आंबेडकर नगर में राजे सुल्तानपुर के गांव तिहाड़तपुर के रहने वाले हैं. वर्दी पहनकर भावुक हुए शैलेंद्र का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने शैलेंद्र सिंह का हमेशा साथ दिया. उन्होंने दरोगा के परिजनों से भी संपर्क बनाकर रखा था और उनके परिवार की जितनी हो सकती थी, मदद की. घटना के वक्त दीपक कुमार प्रयागराज के SSP थे, लेकिन वकील की मौत के कुछ ही दिन बाद उनका ट्रांसफर हो गया था. बताया गया कि इस मामले में जांच का उन्हें भी सामना करना पड़ा था. शैलेंद्र ने कहा कि अपने साथ छोड़ गए, लेकिन दीपक कुमार ने नहीं छोड़ा.