बिहार चुनाव में सोशल मीडिया पर छाई सियासत… हर पार्टी है एक्टिव

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. बिहार की ज्यादातर पार्टियां, जातियों के अंक-गणित और समीकरणों पर काम कर रही हैं, साथ ही नए तकनीक पर आधारित वर्चुअल दुनिया में भी इस सियासी कुरुक्षेत्र में लड़ाई अभी से छिड़ चुकी है. सभी महारथी अपने अपने अस्त्र शस्त्र ही नहीं बल्कि अपना शास्त्र ज्ञान भी लेकर यहां महाभारत छेड़ रहे हैं.
राज्य में चुनाव प्रचार और रैलियों का दौर भले ही अभी शुरू नहीं हुआ लेकिन फिलहाल सोशल मीडिया बिहार चुनाव का कुरुक्षेत्र बना हुआ है. एक से एक कार्टून बनाए जा रहे हैं, नई नई शब्दावली गढ़ी जा रही है.अपने विरोधियों के लिए नए नए विशेषण ढूंढे जा रहे हैं. बकाएदा कार्टूनिस्ट हायर किए गए हैं. शब्दावली गढ़ने के लिए ज्ञानीजन लगाए गए हैं. बयानबाजी भी शुरू हो गई है, आरोप प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं.
‘लालू की पार्टी कर रही IT का इस्तेमाल’
राजनीतिक दल एक दूसरे को नसीहत दे रहे हैं है. इस वर्चुअल सियासी महाभारत में हर महारथी के तीर के काट में बयानों के भी तीर छोड़े जा रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि तीर के जवाब में तीर, गदा के जवाब में गदा, कार्टून के जवाब में कार्टून, वीडियो के जवाब में वीडियो और बयान के जवाब में बयान दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कभी लालू यादव कहते थे ये आईटी, वाईटी क्या है जबकी आज उनकी पार्टी सबसे ज्यादा IT युद्ध में है.
वहीं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि जब नरेंद्र मोदी ने जनवरी, 2009 में ट्विटर पर अपना अकाउंट खोला, तो उस वक्त विरोधी रहे नीतीश कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा था कि यह चीं-चीं चें-चें क्या होता है? नीतीश जल्द ही समझ गए और उन्होंने भी अपना अकाउंट मई, 2010 में खोल लिया. आज उनकी पार्टी इस चुनाव में सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव है.बिहार के राजगीर में नीतीश की पार्टी जेडीयू ने इस तकनीक के असरदार इस्तेमाल को लेकर अपने कार्यकर्ताओं को हाल ही में ट्रेनिंग भी दी है.
बिहार में इंटरनेट की स्थिति चाहे जो हो लेकिन इंटरनेट पर आधारित सियासत खूब हो रही है. बिहार में अभी भी एक डिजिटल खाई है,बावजूद इसके यह खाई चुनाव के दौरान लगता है भरती नजर आ रही है.