शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए शनिवार को जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ!

शनिवार का दिन न्याय और कर्म के देवता शनि देव को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से उनकी पूजा करता है और उनकी प्रिय चीजें अर्पित करता है, तो उससे शनि देव प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा, शनिवार को दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह स्तोत्र अयोध्या के राजा दशरथ द्वारा रचा गया.
पद्म पुराण के अनुसार, जब ज्योतिषियों ने राजा दशरथ को बताया कि शनि देव कृत्तिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र की ओर बढ़ रहे हैं और इसका भेदन करने पर 12 सालों तक अकाल पड़ सकता है, तो राजा दशरथ अपनी प्रजा की भलाई के लिए शनि देव की आराधना करने पहुंचे थे. अगर आप शनिवार को शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनि मंदिर में जाकर उनकी विधिवत पूजा करें. साथ ही, इस दिन दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और जीवन में खुशहाली आती है.
शनि साढ़े साती और ढैय्या में लाभकारी
ज्योतिष के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कारण व्यक्ति को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे हर शनिवार को इस स्तोत्र का पाठ जरूर करें और और शनि देव से जुड़े उपाय करें. ऐसा माना जाता है कि जीवन की रुकावटें भी दूर होती हैं.
दशरथ कृत शनि स्तोत्र
“नमः कृष्णाय नीलाय शीतिकण्ठनिभाय च । नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः ।।
नमो निर्मांसदेहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च । नमो विशालनेत्राय शुष्कोदरभायकृते ।।
नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णे च वै पुनः । नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नमः । नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करलिने ।।
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते । सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ।।
अधोदृष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते । नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते ।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च । नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः ।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मजसूनवे । तुष्टो ददासि वै राज्यम रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगा: । त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः ।।
प्रसादम कुरु में देव वराहोरऽहमुपागतः ।।”




