धर्म/अध्यात्म

20 या 21 मई कब है कालाष्टमी, यहां दूर करें अपना कंफ्यूजन!

हिन्दू धर्म में कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व है. यह दिन भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है. भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष प्रार्थनाएं करते हैं. माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. काल भैरव को न्याय का देवता भी माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से भक्तों को सुरक्षा और आशीर्वाद मिलता है. यह व्रत शनि और राहु के बुरे प्रभावों को कम करने में भी सहायक माना जाता है.

कालाष्टमी पूजा विधि

    • कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
    • भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र को एक साफ चौकी पर स्थापित करें
  • उन्हें फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
  • “ॐ काल भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें और अंत में काल भैरव की कथा सुनें या पढ़ें.
  • शाम के समय या रात्रि में विशेष पूजा का विधान है.
  • कुछ लोग इस दिन काले कुत्ते को भोजन कराते हैं, क्योंकि कुत्ता भगवान भैरव का वाहन माना जाता है.

कालाष्टमी के दिन करें ये उपाय

  1. कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए कालाष्टमी के दिन उपवास रखें और यदि पूरे दिन उपवास करना संभव न हो, तो फलाहार कर सकते हैं.
  2. भगवान भैरव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और इस दिन काल भैरव चालीसा या भैरवाष्टक का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है.
  3. काले कुत्ते को भोजन (जैसे मीठी रोटी या कच्चा दूध) खिलाएं, क्योंकि यह भगवान भैरव का वाहन माना जाता है. यदि काला कुत्ता न मिले तो किसी अन्य कुत्ते को भी खिला सकते हैं.
  4. कालाष्टमी के दिन अपने पितरों का स्मरण करें और उनका श्राद्ध करें. किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं. अपनी क्षमतानुसार काले तिल, उड़द की दाल, काले वस्त्र या लोहे की वस्तुओं का दान करें.
  5. शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए बटुक भैरव पंचर कवच का पाठ करें. काल भैरव के मंदिर में जाकर उन्हें इमरती, जलेबी या उड़द चढ़ाएं. श्री शिव दारिद्रयदहन स्तोत्र का पाठ करें.
  6. भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए रात में काल भैरव के मंत्रों का जाप करें और भगवान काल भैरव से प्रार्थना करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.

कालाष्टमी का महत्व

ऐसी मान्यता है कि काल भैरव की कृपा से लोगों को नकारात्मक ऊर्जा, बुरी आत्माओं और काले जादू आदि से छुटकारा मिलता है. उनकी आराधना करने से भक्तों के मन से हर प्रकार का डर और चिंता दूर होती है. भगवान काल भैरव को विघ्नहर्ता भी माना जाता है. उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं और परेशानियां दूर होती हैं, जिससे कार्यों में सफलता मिलती है. काल भैरव को न्याय का देवता और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है. उनकी पूजा करने से व्यक्ति को सत्य के मार्ग पर चलने और अपने कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा मिलती है.

ऐसा माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से शनि और राहु जैसे ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है. कालाष्टमी का व्रत और भगवान काल भैरव की पूजा आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है. यह मन को शुद्ध करती है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने में मदद करती है. भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी कालाष्टमी का व्रत रखते हैं और भगवान काल भैरव की पूजा करते हैं. माना जाता है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं अवश्य स्वीकार होती हैं. काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता भी माना जाता है. उनकी पूजा करने से भक्तों को किसी भी प्रकार के तांत्रिक अभिचार से सुरक्षा मिलती है.

Related Articles

Back to top button