सीपीएम सीपीआई ने संयुक्त रूप से शहर में किया प्रदर्शन
मजदूर विरोधी मनरेगा कानून गांरटी से बदलाव के विरोध में सौंपा ज्ञापन
भिवानी, (ब्यूरो): पांच वामपंथी पार्टियों के राष्ट्रीय आह्वान पर सीपीआईएम व सीपीआई ने संयुक्त रूप से केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा राष्ट्रीय रोजगार गांरटी कानून को बदल कर एक विकसित भारत जी राम जी के नाम से रोजगार योजना में बदला है, उसके विरोध में भिवानी में प्रदर्शन करके राष्ट्रपति को इसे रद्द करवा कर पहले की रोजगार गांरटी कानून को बहाल करने की मांग को लेकर ज्ञापन भिजवाया। सभा की अध्यक्षता माकपा की तरफ से सुखदेव पालवास व भाकपा की तरफ से कामरेड फूल सिंह इंदौरा ने की। मंच संचालन माकपा जिला सचिव मण्डल सदस्य कामरेड अनिल कुमार ने किया। सभा को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव कामरेड ओम प्रकाश व भाकपा जिला सचिव फूलसिंह इंदौरा, धर्मबीर बामला ने कहा कि राजग/भाजपा की केंद्र सरकार शुरू से ही इस प्रयास में थी कि मनरेगा कानून को खत्म किया जाए, इसलिए देश के प्रधानमंत्री का 28 फरवरी को संसद में संबोधन यह प्रमाणित करता है कि किस प्रकार वे मनरेगा को समाप्त करना चाहते है। वे सीधे तौर पर समाप्त करते तो मजदूरों का ज्यादा विरोध होता। उन्होंने चालाकी से इस गांरटी कानून को योजना में तब्दील कर दिया तथा केन्द्र सरकार का बजट 90 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत कर दिया तथा 40 प्रतिशत बजट की जिम्मेवारी राज्यों पर डाल दी, जबकि राज्यों के पास टैक्स वसूली का अधिकार ही नहीं छोड़ा। फसल कटाई बुआई सीजन में मनरेगा का काम नहीं लगेगा, ऐसा प्रावधान डाल दिया, मजदूरों को गुमराह करने के लिए 100 दिन की बजाए 125 दिन कर दिए। जबकि राष्ट्रीय औसत 50 दिन की आती है। 2004-5 में वामपंथी पार्टियों के लोक सभा में 62 सांसद चुनकर आए थे। उन्होंने सरकार से बाहर रहकर यूपीए सरकार पर दबाव डालकर सूचना अधिकार के साथ यह रोजगार गांरटी कानून बनवाया था। प्रदर्शन में सीपीएम नेता करतार सिंह ग्रेवाल, रामफल देशवाल, राजेश कुंगड़, मास्टर वजीर सिंह, रतन कुमार जिंदल, सज्जन कुमार सिंगला, उपासना सिंह, बिमला घनघस, राममेहर सिंह, वेद प्रकाश खेड़ी, स्नेहलता, रतनपाल तिगड़ाना, महाबीर फौजी, प्रताप सिंह सिंहमार, नरेन्द्र धनाना, ओम प्रकाश दलाल, सीपीआई नेता अमित नांगल, रामजस, माकपा नेता निर्मल नाथूवास, सुबेसिंह, सुरज देवसर सहित कई साथ माजूद रहे।




