हरियाणा पुलिस में काम करने वाले दंपती दे रहे हैं लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश
वेतन का 10 फीसदी हिस्सा कर रहे हैं पेड़ पौधों पर खर्च दंपती मिलकर लगा चुकी है 20 हजार से अधिक पौधे

भिवानी, (ब्यूरो): बीते कुछ समय में पूरे उत्तर भारत की आबोहवा बेहद खराब है। स्वच्छ हवा कितनी महत्वपूर्ण है, ऐसे समय में सभी को समझ आ रहा है। साफ हवा मिल सके इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों की अपनी-अपनी योजनाएं भी चल रही हैं, लेकिन स्वच्छ पर्यावरण, साफ हवा सुलभ हो सके इसके लिए कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्वयं भी भागीरथ प्रयास कर रहे हैं।
उनके प्रयासों के कारण कम से कम कुछ ऐसे क्षेत्र तैयार हुए हैं। जहां की आबोहवा काफी हद तक स्वच्छ भी हुई है। इन्होंने न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की मुहिम छेड़ी बल्कि प्रहरी बन कर पौधों की सुरक्षा की गारंटी भी ली। जिसके कारण पौधे समय के साथ पेड़ों में बदल गए।
एक दशक से ज्यादा समय में भिवानी के हेड कॉन्स्टेबल लोकराम और उनकी एएसआई पत्नी कांतारानी पुलिस की नौकरी के साथ वर्ष 2012 से ही पर्यावरण प्रहरी के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। इसके लिए दोनों ने तन, मन एवं धन तीनों के जरिये पहल की। साल दर साल पौधरोपण कर रहे हैं। 20 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं। वर्ष 2012 से हर महीने अपने वेतन का 10 फीसदी के करीब हिस्सा पर्यावरण के लिए खर्च करते हैं।
बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी जुड़ गए हैं उनकी मुहिम में
हेड कॉन्स्टेबल लोकराम नेहरा और एएसआई कांतारानी अपने खेत और गांव झुंप्पाकलां की शामलात भूमि पर चार ऑक्सीवन तैयार कर चुके हैं।
उनकी एएसआई पत्नी कांतारानी ने उनको बहुत समझाया कि वे पेड़ पौधों पर अपना पैसा और समय बर्बाद न करें पर उनका हरियाली बढाने के प्रति समर्पण देख कर वह खुद भी उनके साथ इस कार्य में जुट गईं।
पर्यावरण संरक्षण के उनके इस अभियान में अब 50 पुलिसकर्मियों के साथ 300 से ज्यादा युवा एवं कई संस्थाएं भी जुड़ चुकी हैं।
तीन हजार से ज्यादा त्रिवेणी लगाई
ऑक्सीवन यानी ऑक्सीजन का वन। छोटे-छोटे वन क्षेत्र। जहां ऐसे पौधे लगाए जाते हैं जो हमेशा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। त्रिवेणी अर्थात पीपल, बडग़द और नीम। इन पेड़ों के वैज्ञानिक और अध्यात्मिक महत्व हैं।
लोकराम नेहरा और कांतारानी पर्यावरण संरक्षण के प्रति इतने ज्यादा समर्पित हैं कि अब तक वह अपने गांव झुंप्पाकलां और खेत में चार ऑक्सीवन तैयार कर चुके हैं। इनमें चार एकड़ में 4 हजार, एक एकड़ में 500, सार्वजनिक भूमि के दो एकड़ जमीन पर 250 पौधे लगाए हैं।
हेड कॉन्स्टेबल बताते हैं कि घर के सामने एक एकड़ में 200 पौधे लगाए हैं। इनमें तीन हजार से ज्यादा त्रिवेणी भी हैं। इसका असर गांव झुंप्पाकलां के लोग भी महसूस करते हैं। यहां हवा स्वच्छ है। हरियाली ज्यादा होने की वजह से गर्मी का प्रभाव भी कम पड़ता है।
95 प्रतिशत पौधे बने पेड़
लोकराम बताते हैं कि गांव में जो ऑक्सीवन बनाए हैं उनकी चाचा दर्शनानंद और पिताजी रामसिंह देखरेख करते हैं। यहां पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया है। इसके अलावा जो पौधे किसी के जन्मदिन या विशेष अवसर पर भी यहां पौधे लगवाए जाते हैं और उन्हें गोद भी दिया जाता है।
पौधे लगाने के बाद उनकी लगातार देखरेख की वजह से ही उनके द्वारा लगाए गए अधिक्ता पौधे अब पेड़ों का रूप ले चुके हैं। उन्होंने सिद्धांत बनाया है कि जब भी अपने परिवार या मित्र के यहां किसी मांगलिक कार्य के लिए जाते हैं, तो उपहार के रूप में त्रिवेणी ही देते हैं।
इस बार दीवाली में भी इन्होंने मिठाई के बजाय लोगों को 500 तुलसी के पौधे वितरित किए। लोकराम सीजेएम के गनमैन हैं। ड्यूटी के बाद वह स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक जगहों के साथ पुलिस थानों और पुलिस चौकियों में भी त्रिवेणी लगाने का काम करते रहे हैं।