कपास से 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने से कपास के किसानों को होगा नुकसान : गुरनाम सिंह कपास पर आयात शुल्क वापिसी को लेकर हर जिला मुख्यालयों पर दिए
जाएंगे ज्ञापन, 10 दिन में मांगें नहीं मानी तो करेंगे आंदोलन कृषि विभाग व प्राईवेट कंपनियों की मिलीभगत से किसानों के बीच पेस्ट्रीसाईड व अत्याधिक खाद के प्रयोग का हो रहा प्रचार

तय मापदंड से 6 गुणा अधिक पेस्ट्रीसाईड किसान खेतों में डाल रहे, कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को समझाने की बजाए प्राईवेट कंपनियों से कर रहे मिलीभगत, नहीं रोक पा रहे प्राईवेट कंपनियों के पेस्ट्रीसाईड व खाद के अत्याधिक प्रयोग के प्रचार को पैट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाए जाने को चंढूनी ने बताया विश्वव्यापी, किसानी उत्पादों से बनता है एथेनॉल इस नियम का नहीं होगा किसानों को कोई नुकसान : गुरनाम सिंह चंढूनी
धाान की खरीद प्रतिवर्ष 15 सितंबर से की जाए शुरू
जलभराव वाले क्षेत्रों का सर्वे करवाकर जल्द दिया जाए मुआवजा
डीएपी व यूरिया पोर्टल की बजाए खुले में बेचा जाए
फसल बीमा, फसल खराबे पर एक माह में किसानों को करवाया जाए उपलब्ध, बीमा क्लेम लेट होने पर प्रतिदिन के हिसाब से कंपनियों पर लगाया जाए जुर्माना
भिवानी, (ब्यूरो): भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चंढूनी ने कपास पर लगाए गए 11 प्रतिशत आयात शुल्क वापिस लिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि यह शुल्क अगले 10 दिनों में वापिस नहीं लिए गए तो राज्य स्तर पर हर जिला में भारतीय किसान यूनियन प्रदर्शन करने पर मजबूर होगी। उन्होंने कहा कि कपास पर आयात शुल्क 11 प्रतिशत लगने से कपास के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे आ गए है। इससे कपास का किसान बर्बाद हो जाएगा तथा कपास उत्पादक किसानों की आत्महत्याएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह अमेरिका तथा उद्योगपतियों के प्रभाव में किया है। कपास पर लगाए गए आयात शुल्क को हटाकर 11 प्रतिशत से 0 प्रतिशत किए जाने की मांग को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन भी सौंपा। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि धान की खरीद राज्य सरकार 15 सितंबर से करे। अक्सर यह खरीद एक अक्तूबर से होती है। उन्होंने कहा कि अब धान की 90 व 85 दिन में तैयार होने की फसले आ गई है। पहले फसलों के तैयार होने में संैकड़ों दिन लगते थे। अब यह जल्द तैयार हो जाती है। ऐसे में प्रति वर्ष धान की खरीद राज्य सरकार 15 सितंबर से करना शुरू करे। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में जलभराव वाले क्षेत्रों का सर्वे करवाकर उचित मुआवजा दिया जाए। उन्होंने यह मांग भी की कि डीएपी व यूरिया को पोर्टल के माध्यम से ना बांटकर खुले में बांटा जाए, ताकि किसान परेशानी से बच सकें। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनिया तीन-तीन साल तक बीमा के पैसे अटकाए रखती है तथा उन पर करोड़ों रूपयों का मुनाफा कमाती है। ऐसे में खराबे के एक माह में क्लेम देने का कानून बनाया जाए तथा प्रतिदिन के हिसाब से बीमा कंपनियों को फसल बीमा का पैसा रोकने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान किया जाए। फसलों के अधिक उत्पादन को लेकर अत्याधिक पेस्ट्रीसाईड व खादों का प्रयोग करने के चलते खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता खराब होने को लेकर किसानों पर लगाए गए आरोप का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आज देश के किसान 6 गुणा तक पेस्ट्रीसाईड डालते है। इससे उनके खर्चे भी 6 गुणा तक बढ़े है तथा अधिकत्तर खाद-बीज की दुकानों पर मिलने वाली दवाईयों में से 60 प्रतिशत दवाईया नॉट रिकमेंडेड होती है। उन्होंने कहा कि इन सबके लिए सरकार का कृषि विभाग जिम्मेवार है। कृषि विभाग के मात्र 25 प्रतिशत कर्मचारी कार्य कर रहे है। जबकि प्राईवेट कंपनियों के लोग किसानों के बीच जाकर गैर जरूरी दवाईयों का प्रचार करके किसानों को अत्याधिक पेस्ट्रीसाईड व खाद डालने के लिए तैयार कर लेते है। इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों व कंपनियों की मिलीभगत होने का आरोप लगाया। वही उन्होंने पैट्रोल कंपनियों द्वारा 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाए जाने की शुरूआत किए जाने के सवाल पर कहा कि इसको लेकर किसानों को कोई ऐतराज नहीं है। क्योंकि विभिन्न देशों में एथेनॉल पैट्रोल में मिलाया जाता है। उन्होंने कहा कि एथेनॉल का उत्पादन कृषि उत्पादों से ही होता है। इस नियम का किसानों को आने वाले समय मे कोई नुकसान नहीं होगा।
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भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चंढूनी।