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चीनी विदेश मंत्री के भारत दौरे पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- ऑपरेशन सिंदूर में की थी पाकिस्तान की मदद

चीनी विदेश मंत्री वांग यी सोमवार को दो दिन की भारत यात्रा पर दिल्ली आ रहे हैं. इस दौरे के दौरान वह मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे. विदेशी मंत्री जयशंकर और NSA अजीत डोभाल के साथ बैठक भी करेंगे. चीनी विदेश मंत्री के भारत दौरे पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में चीन ने पाकिस्तान की मदद की थी.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी आज भारत पहुंच रहे हैं. यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हाल ही में चीन ने पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी सैन्य मदद दी थी. इस दौरान चीन से पाकिस्तान को J-10C लड़ाकू विमान, PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल समेत कई आधुनिक मिसाइलें और ड्रोन चीन से मिले थे.

ऑपरेशन सिंदूर में चीन की पाकिस्तान को मदद

जयराम रमेश ने आगे लिखा कि उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने 4 जुलाई को कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के जिन विरोधियों से मुकाबला था, उनमें चीन भी शामिल था और उसने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ लाइव इंटेलिजेंस मुहैया कराई थी. इसके अलावा चीन ने यारलुंग त्संगपो नदी पर 60 गीगावाट क्षमता वाले मेदोग बांध का काम भी शुरू कर दिया है जो भारत के लिए गंभीर रणनीतिक चुनौती मानी जा रही है.

भारत के लिए रणनीतिक चुनौती

उन्होंने आगे लिखा कि भारतीय सेना हमेशा चाहती रही है कि अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल हो. लेकिन अक्टूबर 2024 में सरकार ने चीन के साथ जो डिसएंगेजमेंट समझौता किया उसके बाद हालात बदल गए. अब भारतीय गश्ती दलों को देपसांग, देमचोक और चुशूल जैसे इलाकों में अपने ही गश्ती बिंदुओं तक पहुंचने के लिए चीन से अनुमति लेनी पड़ती है. इसके अलावा भारत ने गलवान, हॉट स्प्रिंग और पैंगोंग त्सो में बफर जोन बनाने पर भी सहमति दे दी है जबकि ये क्षेत्र भारत के दावे के हिस्से थे.

गलवान शहीदों के बलिदान का अपमान बताया

जयराम रमेश ने यह भी लिखा कि भारत आज उस गलती की कीमत चुका रहा है जो 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को क्लीन चिट देने से हुई थी. उस समय उन्होंने कहा था कि न कोई हमारी सीमा में घुसा है न कोई घुसा हुआ है. प्रधानमंत्री का यह बयान केवल कायराना नहीं था बल्कि इससे गलवान घाटी में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों के बलिदान का भी अपमान हुआ.

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