उत्तर प्रदेश

मेरठ का कोबरा कांड: संपेरे ने भी चोरी कर बेचा था सांप, मुआवजे की रकम के लालच फंस गई कातिल पत्नी

उत्तर प्रदेश के मेरठ में पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर हत्या कर दी. वारदात को छिपाने के लिए उसने पति की लाश के पास सांप रख दिया. इस केस में पहले पुलिस भी कन्फ्यूज हो गई, लेकिन बाद में इस सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ. इस कांड से लोग चौंक गए. आरोपियों ने एक संपेरे से सांप को खरीदा था. हैरत की बात यह है कि उस संपेरे ने वो सांप चोरी किया था. यह मामला सरकारी मुआवजा योजना के कारण उजागर हुआ.

जिले के बहसूमा थाना क्षेत्र के गांव के युवक अमित कश्यप की संदिग्ध मौत को पहले सांप के डसने से हुई मौत बताया गया, लेकिन मुआवजे की प्रक्रिया के लिए कराए गए पोस्टमार्टम ने एक खौफनाक साजिश की परतें खोल दीं. अमित की मौत के बाद परिवार वाले खासतौर से पत्नी रविता पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन, गांव के प्रधान दीपक ने उन्हें सरकारी मुआवजा योजना के तहत 4 लाख रुपये मिलने की जानकारी दी और पोस्टमार्टम के लिए राजी किया.

सपेरे ने चोरी कर बेचा 1000 का सांप

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि अमित की मौत सांप के काटने से नहीं, बल्कि गला घोंटकर की गई थी. इसके बाद पुलिस ने जब तहकीकात शुरू की, तो सामने आया कि अमित की पत्नी रविता ने अपने प्रेमी अमरदीप के साथ मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था.हत्या को सांप के काटने जैसी प्राकृतिक मौत दिखाने के लिए रविता और अमरदीप ने महज 1000 रुपये में एक बेजहर सांप का इंतजाम किया, जिसे सपेरा कृष्णन ने प्रीतम नाथ नामक दूसरे सपेरे के घर से चुरा कर उन्हें दिया था.

पुलिस को हुआ शक

कत्ल के अगले दिन अमित का बेटा रोज की तरह नाश्ता लेकर पिता को जगाने पहुंचा तो देखा कि उसके पिता की लाश कंबल में लिपटी है. पास में ही एक सांप बैठा है. यह देखकर उसकी चीख निकल गई. बच्चे की चीख सुनते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई. सपेरा निर्मल को बुलाया गया, जिसने आसानी से उस सांप को पकड़ लिया. पुलिस को यहीं से पहली बार शक हुआ कि मामला कुछ और है, क्योंकि सांप जहरीला नहीं था.

सरकारी मुआवजा योजना के कारण हुआ खुलासा

जैसे ही पुलिस ने सपेरा कृष्णन को हिरासत में लिया, उसने पूरी साजिश का खुलासा कर दिया. फिलहाल रविता और अमरदीप जेल में हैं और पुलिस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है. गांव के प्रधान दीपक ने बताया कि अगर मुआवजा योजना के तहत पोस्टमार्टम की जरूरत न होती, तो शायद ये हत्याकांड कभी उजागर न हो पाता. उन्होंने कहा, “जिस सरकारी योजना को लोग औपचारिकता समझते थे, उसने एक निर्दोष की मौत का सच सामने लाकर न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई.”

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